November 27, 2023

बढ़ती महिला हिंसा के खिलाफ जंतर-मंतर पर आक्रोश प्रदर्शन

समाज में बढ़ती महिला हिंसा और उसके प्रति शासकों की उदासीनता के खिलाफ आम मजदूर मेहनतकश महिलाओं को आवाज को बुलंद करने की अपनी मुहिम में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने देश की राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर 26 नवंबर को एक आक्रोश प्रदर्शन किया जिसमे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश हरियाणा था दिल्ली से सैकड़ों महिलाओं तथा विभिन्न जन संगठनों ने भागीदारी की। 
कार्यक्रम का संचालन प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की महासचिव रजनी जोशी और कार्यकारिणी सदस्य ऋचा ने किया।
जंतर-मंतर पर आयोजित सभा में शुरुआती वक्तव्य रखते हुए संगठन की उपाध्यक्ष ने कहा कि 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। हमारे देश की सरकार ने भी महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया है। लेकिन महिला हिंसा खत्म होने के बजाय बढ़ती जा रही है। ओपचारिक तौर पर घोषणा करने मात्र से महिला हिंसा को खत्म नहीं किया जा सकता है। इसको सीधे तौर पर देखा जा सकता है कि देश में हर साल महिला हिंसा के आंकड़ों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। बुजुर्ग महिलाओं से लेकर छोटी बच्चियों तक के लिए भारतीय समाज असुरक्षित बनता जा रहा है। कन्या भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, घरेलू हिंसा, बलात्कार, छेड़छाड़ आदि तरीकों से महिलाएं निरंतर हिंसा की मार सह रही हैं।*बढ़ती महिला हिंसा के खिलाफ जंतर-मंतर पर आक्रोश प्रदर्शन*
महिला हिंसा की घटनाएं न केवल सार्वजनिक स्थलों पर हो रही है बल्कि घरों की चारदीवारी में, कार्यस्थलों पर, जातीय दंगों के दौरान और यहां तक की खुद राज्य सत्ता द्वारा भी महिलाओं के साथ हिंसा, यौन हिंसा की घटनाओं को अंजाम दे रही है।
सभा में वक्ताओं ने अपने वक्तव्य में कहा कि बी एच यू जैसे कॉलेज परिसर में आई आई टी की छात्रा के साथ छेड़ छाड़ व सामूहिक बलात्कार जैसी जघन्य घटना को अंजाम दिया गया। हाल ही मे हुए मणिपुर दंगों में दो कुकी जाति की महिलाओं को नग्न कर सड़क पर दौड़ाया गया। गुजरात दंगों के दौरान बिल्किस बानो के साथ जैसी तमाम घटनाएं घटी जिनमें मुस्लिम समुदाय के घरों में घुस कर मुस्लिम महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया उन महिलाओं की आंखो के सामने ही उनके छोटे छोटे बच्चों को पत्थर पर पटक पटक कर मार दिया गया। बिल्किस बानो ने काफी संघर्ष किया तब जाकर उसके 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा मिली थी लेकिन 15 अगस्त 2022 में उन 11 अपराधियों को भाजपा सरकार ने रिहा कर दिया। इससे यह साबित होता है कि भाजपा सरकार महिलाओं के साथ अपराध करने वालो को बचाने का काम कर रही है।
सभा में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा सरकार अपने फासीवादी ऐजडे के तहत आम मेहनतकश जनता के जनवादी अधिकारों को सीमित करती जा रही है। उसी में वह महिलाओं के जनवादी अधिकारों को भी खत्म कर 150 साल पुरानी स्थिति में पहुंचा देना चाहते है। भाजपा सरकार एक तरफ तो महिला सशक्तिकरण की बड़ी बड़ी बाते करती है लेकिन वहीं दूसरी तरफ महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न करने वाले बृजभूषण शरण को सजा देने के बजाय उसको बचाने का काम कर रही है। इसी जंतर मंतर पर देश दुनिया में नाम कमाने वाली महिला पहलवानों पर लाठी चार्ज करने, उनके धरने को खत्म करने का काम किया। जब देश का नाम ऊंचा करने वाली महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा है तो सोच सकते हैं कि आम मजदूर महिला को इस शासन में कैसे न्याय मिल पायेगा? 
महिलाओं को आगे बढ़ाने के, उनको आत्म निर्भर बनाने की बड़ी बड़ी बाते करती है लेकिन स्कीम वर्कर (भोजनमाता, आंगनबाड़ी, आशा वर्कर आदि) को न्यूनतम मानदेय देकर उनका आर्थिक शोषण के साथ-साथ मानसिक उत्पीड़न भी किया जा रहा है।
सभा के अंतिम वक्ता के तौर पर प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की अध्यक्ष बिन्दु गुप्ता ने कहा कि महिला हिंसा को खत्म करने के लिए उसके कारणो को खत्म करने की जरूरत है। यानी घरेलू दासता, पुरानी सामंती मूल्य मान्यताओं की दासता और उजरती दासता से जब तक महिलाओं को मुक्त नही किया जाएगा तब तक महिला हिंसा को भी खत्म नहीं किया जा सकता है। 
साथी ने आहवान करते हुए कहा कि समाज के मजदूर मेहनतकशों को एकजुट होकर इस पूंजीवादी व्यवस्था का खात्मा कर एक नए समाज समाजवाद के लिए संघर्ष को तेज करने की जरूरत है।
कार्यक्रम में इंकलाबी मजदूर केंद्र, बेलसोनिका मजदूर यूनियन (गुड़गांव), क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, सीमेंस वर्कर्स यूनियन, एवरेडी मजदूर यूनियन (हरिद्वार), इंटरार्क मजदूर संगठन (रुद्रपुर पुर), इफ्टू (सर्वहारा), जन संघर्ष मंच (हरियाणा), गार्गी महिला टीम, मजदूर सहयोग केंद्र विमुक्तता स्त्री मुक्ति संगठन, एसोसीएशन फौर डैमोक्रेटिक राइट्स, मजदूर सहयोग केंद्र, संग्रामी घरेलू कामगार यूनियन आदि संगठनों के साथियों ने अपने वक्तव्य रखे और कार्यक्रम का समर्थन किया।

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