June 25, 2020

कोविड19ः कानपुर में सरकारी बाल संरक्षण गृह में नाबालिग बालिकाओं के गर्भवती होने की घटना की जांच की मांग

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने आज दिनांक 25 जून को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में सरकारी बाल संरक्षण गृह में 57  बालिकाओं/महिलाओं के कोरोना पोजिटिव होने व 7 नाबालिग बालिकाओं के गर्भवती होने की घटना के विरोध में राष्ट्रपति को एक ज्ञापन  प्रेषित किया। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा  इस घटना को  बहुत दुखद और वीभत्स बताया गया है. इससे पहले भी उत्तर प्रदेश और बिहार के संरक्षण गृह में लड़कियों/महिलाओं को देह व्यापार व सफेदपोशो की हवस का शिकार होना पड़ा था और अब उत्तर प्रदेश के कानपुर में यह घटना फिर से सामने आई। इसमें भी आशंका है कि इन नाबालिग  लड़कियों के साथ कोई अमानवीय घटना हुई हो।
    अतः प्रगतिशील महिला एकता केंद्र मांग करता है कि -
1. उत्तर प्रदेश के कानपुर के बाल संरक्षण गृह की घटना के उच्च स्तरीय जांच हो।
2.संरक्षण गृह में रहने वाली बालिकाओं महिलाओं का निष्पक्ष बयान लिये जाए।
3.संरक्षण गृह के  संरक्षक व आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।जाए।



May 27, 2020

CAA विरोधी कार्यकर्ताओ की गिरफतारी के विरोध में शाहबाद डेरी (दिल्ली) में जनसंगठनों का संयुक्त प्रदर्शन


पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता नताशा और देवांगना की गिरफतारी के विरोध में परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र और इंकलाबी मजदूर केन्द्र, मजदूर एकता समिति तथा घरेलू कामगार महिला संगठन के कार्यकर्ताओ ने शाहबाद डेरी, नई दिल्ली  में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। इस दौरान शारीरिक दूरी और लॉकडाउन का ध्यान रखते हुए सभा आयोजित की गई और सभा के अंत में सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग करते हुए एक ज्ञापन मेल द्वारा राष्ट्रपति महोदय को भेजा गया। ज्ञापन की प्रति राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य महिला आयोग, दिल्ली तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी भेजी गई।

सभा में बात रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि लॉकडाउन की आड़ में CAA विरोधी आंदोलनकारियों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी बदस्तूर जारी है। सफूरा जरगर और अन्य साथियों के बाद 23 मई को पिंजरा तोड़ की दो साथियों देवांगना और नताशा को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस एक-एक कर सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को गिरफ्तार कर रही है जबकि दिल्ली दंगो के मास्टर माइंड कपिल मिश्रा, रागिनी तिवारी, भाजपा नेता प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर जैसे लोग खुलेआम घूम रहे हैं। ये दिखाता है कि पुलिस पक्षपाती तरीके से सरकार विरोधी ताकतों को चुप करा रही है।

सभा में सभी वक्ताओं ने मांग रखी कि :-

- सरकार गिरफ्तार आंदोलनकारियों को तत्काल रिहा करे।

- दिल्ली दंगो के मास्टर माइंड कपिल मिश्रा समेत दंगा फैलाने वाले भाजपा नेताओं को गिरफ्तार करो।

- CAA, NRC, NPR वापस लो

- जनता की आवाज को दबाना बंद करो।

सभा का समापन जोरदार नारों के साथ किया गया। साथ ही आंदोलन को आगे बढ़ाने का आह्ववान किया गया।

संगठनों द्वारा भेजा गया संयुक्त ज्ञापन निम्नवत हैः

ज्ञापन
  दिनांक-26 मई 2020  

प्रति,
राष्ट्रपति महोदय,
राष्ट्रपति भवन,
भारत सरकार


विषय-पिंजरा तोड़ संगठन की साथी देवांगना और नताशा की रिहाई और उन पर लगे फर्जी मुकदमे वापस लेने के संबंध में।

महोदय,
जैसा कि विदित है कि दिनांक 23 मई को दिल्ली पुलिस द्वारा पिंजरा तोड़ संगठन की दो साथियों देवांगना कालिता और नताशा नरवाल को फर्जी तरीके से हत्या, दंगा भड़काने सहित कई संगीन धारायें लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया है।
इस से पूर्व उन पर दिल्ली में दंगा भड़काने के फ़र्ज़ी आरोप में दिल्ली पुलिस ने मुकदमे दर्ज किए थे। इस मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा इन्हें जमानत दे दी गयी थी। माननीय  मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने माना था कि ये कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे  CAA विरोधी आंदोलन में शामिल थीं और इनका दिल्ली दंगों से कोई लेना देना नहीं है।
लेकिन  दिल्ली पुलिस ने साजिशन दुबारा इन पर हत्या, दंगा भड़काने आदि आरोप लगाकर इन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
महोदय, दिल्ली उच्च न्यायालय के जज न्यायमूर्ति मुरलीधर ने
कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, रागिनी तिवारी और अनुराग ठाकुर जैसे लोगों को प्रथमदृष्टया नफरत और हिंसा भड़काने का आरोपी मानते हुए इन आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी का आदेश दिया था। लेकिन ये लोग आज भी खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा निरंतर CAA विरोधी कार्यकर्ताओं को फ़र्ज़ी तरीकों से दिल्ली दंगे के आरोपी बनाया जा रहा है।
महोदय, दिल्ली पुलिस द्वारा पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ता देवांगना और नताशा की गिरफ्तारी जनवादी अधिकारों का हनन और विरोधियों को कुचलने व विरोध की हर आवाज को दबाने का कृत्य है जो बेहद निंदनीय और अलोकतांत्रिक है।

अधोहस्ताक्षरी संगठन पिंजरा तोड़ संगठन की साथी देवांगना कालिता व साथी नताशा नरवाल की दिल्ली पुलिस द्वारा की गई  इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हैं और इसका पुरजोर विरोध करते हुए देवांगना कालिता एवम नताशा नरवाल सहित सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं पर लगे फर्जी मुकदमे खत्म करने एवम उनकी तुरंत रिहाई की मांग करते हैं।

 भवदीय
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र,
इंक़लाबी मज़दूर केंद्र,
परिवर्तनकामी छात्र संगठन,
मज़दूर एकता समिति,
घरेलू कामगार महिला संगठन

प्रतिलिपि प्रेषितः
राष्ट्रीय महिला आयोग
राज्य महिला आयोग, दिल्ली
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

May 25, 2020

नताशा और देवांगना को रिहा करो! राजनीतिक कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न बंद करो!!


23 मई 2020 की शाम छह बजे दिल्ली पुलिस ने दो महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं देवांगना और नताशा को जाफराबाद थाने में दर्ज एक दंगे भड़काने की एफआईआर पर गिरफ्तार कर लिया। पिंजरातोड़ नामक महिला  से समूह से जुड़ी यह दोनों ही सामाजिक कार्यकर्ताएं लंबे समय से दिल्ली के स्तर पर महिलाओं और मजदूरों के मुद्दों पर सक्रिय रही हैं। बल्कि इन दोनों पर यह एफआईआर ही इसलिए दर्ज की गई क्योंकि यह सीएए तथा एनआरसी विरोधी आंदोलन में दिल्ली के स्तर पर सक्रिय थीं। 23 मई की शाम दोपहर तीन बजे इन दोनों से क्राइम ब्रांच द्वारा पूछ-ताछ की गई जो लगभग तीन घंटे चली। इसके तुरंत बाद जाफराबाद पुलिस थाने से पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। परिवारजनों द्वारा गिरफ्तारी की वजह पूछे जाने पर पुलिस ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया। 

आज जहां एक तरफ तमाम राज्यों की सरकारों समेत केंद्र सरकार देश में कोरोना के नाम पर लोगों को घरों में बंद रहने और सामाजिक दूरी बनाए रखने का उपदेश दे रही है, वहीं दूसरी तरफ वह देश की उत्पीड़ित आबादी की आवाज उठाने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं को एक-एक कर गिरफ्तार कर जेलों में डाल रही है। इस महीने की शुरुआत में हुई सफूरा जरगर की गिरफ्तारी भी इसी का उदाहरण है। गौरतलब है कि जिस एफआईआर के तहत दिल्ली पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया है उस एफआईआर पर इन दोनों को पहले ही उच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी थी। न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद पुलिस द्वारा की गई यह गिरफ्तारी यह साफ दिखाती है कि किस तरह लॉकडाउन का फायदा उठाकर सरकार उन सभी को जेलों में बंद कर रही है जो आम जनता के हकों और अधिकारों की बात कर रहे हैं।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र इस तरह इस तरह से लगातार महिलाओं समेत सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं के इस गैर-संवैधानिक गिरफ्तारियों तथा उनके उत्पीड़न का विरोध करता है और मांग करता है कि देवांगना और नताशा समेत सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय समिति द्वारा जारी
23.05.2020

May 19, 2020

घरेलू महिला कामगारों की मांगो को उठाते हुए शाहबाद डेयरी, दिल्ली में किया गया प्रदर्शन


कोरोना महामारी के कारण 22 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। इस महामारी ने देश के तमाम मेहनत मजदूर आबादी पर रोजगार और आय का एक भीषण संकट खड़ा कर दिया है। लॉकडाउन की वजह से विकट आर्थिक संकट में फंसने वाले तमाम पेशों में एक बड़ा हिस्सा दूसरों के घरों में घरेलू कामगार के रूप में काम करने वाली महिलाओं का है। मार्च अंत से शुरु इस लॉकडाउन की वजह से इन महिलाओं की  स्थिति बहुत ही चिंताजनक है।

दिल्ली की मज़दूर बस्ती शाहबाद डेयरी में घरेलू कामगार महिलाओं से मिलने पर पता चला कि उनको अप्रैल महीने की तनख्वाह नहीं दी गई है। कुछ घरों ने अपनी कामवालियों को मार्च महीने की तनख्वाह भी काट कर दी है। और अब हालात ये है कि मालिकों ने घरेलू कामवालियों के फोन तक उठाने बन्द कर दिए है। इनकी स्थिति पहले से ही बहुत खराब थी। लॉकडाउन के चलते और बुरी हो गई है।

इन समस्याओं को देखते हुए बस्ती की सैकड़ों घरेलू कामगारों ने 24 अप्रैल को घरेलू कामगार महिला संगठन का गठन किया। जिसके तहत 25 अप्रैल को स्थानीय विधायक से मुलाकात कर उन तक अपनी समस्याएं पहुंचाई गई। विधायक के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी घरेलू कामगारों की समस्याओं से अवगत कराने तथा लॉक डाउन में उनके लिए कुछ राहत योजना शुरू करने के संबंध में ज्ञापन भेजा गया। परन्तु अब तक इस दिशा में सरकार द्वारा कोई काम नहीं किया गया है।

इसके खिलाफ बस्ती की महिलाओ ने अपनी मांगो को उठाने के लिए 16 मई को अपने घरों के बाहर खड़े होकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। प्रदर्शन में दर्जनों कामगारों ने भागीदारी की।

घरेलू कामगारों के साथ शासन - प्रशासन का ये रवैया नया नहीं है। पहले भी इनकी स्तिथि बुरी ही थी अब और अधिक बुरी हो रही है। ऐसे में यदि सरकार इनकी समस्याओं पर जल्द ही कोई कार्यवाही नहीं करती तो कामगार अपने आंदोलन को और आगे बढ़ाने पर मजबूर हो जाएंगी, जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सरकार की होगी।






















May 17, 2020

कोरोना संकटः भूख, बेरोजागारी और महामारी के साथ साथ घरेलू हिंसा का दंश भी झेल रही हैं महिलाएं

विश्वव्यापी महामारी के चलते 22 मार्च से लगा राष्ट्रीय लॉकडाउन आज अपने 53वें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान इस देश की मेहनत मजदूरी करने वाली जनता ने जो तबाही और बर्बादी झेली है वह भारत के  इतिहास में काले अक्षरों से लिखा जाएगा। न घर में खाने को दाना, न काम, न जेब में फूटी कौड़ी, कुल मिलाकर अगर कहा जाए तो इस देश की मजदूर आबादी ने जो दिन देखे वह शायद कोरोना से संक्रमित हो जाने से भी बुरा है। कोरोना महामारी की वजह से हुए इस लॉकडाउन की वजह से पैदा इस भुखमरी और तबाही के साथ-साथ जो एक संकट व्यापक रूप से और उभरा वह है घरेलू उत्पीड़न का। ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन से पहले महिलाओं के साथ घरेलू उत्पीड़न नहीं था या कम था किंतु इस लॉकडाउन की वजह से घरेलू उत्पीड़न में 90  प्रतिशत की वृद्धि हुई है। और यह आंकड़ा सिर्फ एक देश या किसी एक खास वर्ग का नहीं है। पूरे विश्व में लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर होने वाले घरेलू ज्यादितयों में व्यापक वृद्दि हुई है।
महिलाओं के साथ बढ़ रहे इस अत्याचार की तरफ सरकार का ध्यान दिलाने और इसकी रोकथाम की मांग को लेकर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने राष्ट्रीय महिला आयोग को एक ज्ञापन सौंपा। हम यहां आपके साथ इस ज्ञापन का मजमून साझा कर रहे हैंः


        दिनांक-13/05/2020
ज्ञापन

सेवा में,
राष्ट्रीय महिला आयोग 
            दिल्ली 

विषय - लाॅक डाउन के दौरान बढ़ती घरेलू हिंसा की रोकथाम के संबंध में।

महोदया,
कोरोना महामारी को हर जगह मात्र एक स्वास्थ्य संकट के रूप में देखा जा रहा है लेकिन लाॅकडाउन के दौरान पहले से उत्पीड़ित महिलाओं का उत्पीड़न और बढ़ भी गया है। इस दौरान देशभर में 90 प्रतिशत घरेलू हिंसा बढ़ गई है। साथ ही बाल अपराध व उत्पीड़न भी बढ़ता जा रहा है
लाॅकडाउन के कारण लोगों की आजीविका पर भारी संकट आ गया है। वे अपनी दैनिक जीवन की मामूली लेकिन जरूरी चीजों का भी इंतेजाम कर पाने में भी असमर्थ हो गए हैं। ऐसे में यह लाॅकडाउन उनके लिए आर्थिक और सामाजिक संकट में तब्दील हो गया है। जिस कारण ये परिवार निरंतर मानसिक तनाव में रह रहे हैं। और यह मानसिक तनाव पहले से ही गैरबराबरी की शिकार महिलाओं पर घरेलू हिंसा के रूप में अपना कहर बरपा कर रहा है।
लाॅकडाउन में बंद के चलते महिलाएं अपने ऊपर हो रहे उत्पीड़न की शिकायत तक नहीं कर पा रही हैं। इस समय सभी लोग अपने घरों में बंद हैं जिस कारण आसपास व पड़ोस के लोग भी मदद नहीं कर पा रहे हैं। घरों में रहकर उत्पीड़न की शिकायत करने से महिलाओं की जान का जोखिम और भी बढ़ गया है। उन्हें सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों से भी मदद नहीं मिल पा रही है।
लाॅकडाउन के दौरान अलग-अलग जगह पर पुलिस द्वारा की गई बर्बरता की तस्वीरें सामने आई हं।ै जिस वजह से महिलाएं पुलिस से मदद मांगने से डर रही हैं। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को समय से ना तो इलाज मिल रहा है और ना ही उनकी सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र महिलाओं के साथ बढ़ती घरेलू हिंसा का विरोध करते हुए मांग करता है कि-

1- घरेलू हिंसा पर रोक लगाई जाए।
2- घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए जाए।
3- महिलाओं के लिए होम सेंटर की व्यवस्था की जाए।
4- हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाए था वह उन्हें चालू रखा जाए।
5- आर्थिक संकट का सामना कर रहे परिवारों को आर्थिक मदद दी जाए।

रजनी जोशी
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र
   मो0- 9758210962

प्रेषित- 
    -माननीय राष्ट्रपति महोदय, भारत सरकार

    -माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार 

    -राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, दिल्ली
                                                                   






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