July 24, 2023

इंकलाबी मजदूर केंद्र तथा परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथियों पर हमला करने वालो को सजा दो


 दिनांक 23 जुलाई को इंकलाबी मजदूर केन्द्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा मणिपुर की घटना के विरोध में गोछी (फरीदाबाद) में रैली का आयोजन किया गया था। रैली जब विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए आगे बढ़ी तो सहदेव नाम के एक गुंडे के नेतृत्व में कुछ लड़कों ने रैली को रोकने की कोशिश की। उनकी ना सुनकर रैली जब आगे बढ़ने लगी तो उनमें से एक गुंडे ने पीछे से लोहे के डंडे से हमारे एक साथी पर हमला किया और भाग गया। उसका पीछा कर रहे 2 साथियों पर भी गली में छिपे आर एस एस - भाजपा के गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किया गया। जिनके सिरों में चोटें आई हैं।
इस हमले में इंकलाबी मजदूर केंद्र के तीन साथी संतोष, दीपक और नितेश को गंभीर चोटें आई हैं। तीनों साथियों के सिर पर हमला किया गया है। 

घटना के बाद गोछी थाने ने भी अपराधियों को बचाने की ही कोशिश की। शुरूवात में गोछी पुलिस चौकी में पुलिस एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करते रहे। लेकिन जनदबाव बढ़ने के बाद पुलिस को इन फासीवादी गुंडों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ी।

ये घटना दिखाती है कि बीजेपी और आरएसएस किस तरह का भारत बनाना चाहते हैं। पहले बीजेपी द्वारा महज सत्ता के लिए मणिपुर में मैतई और कुकी के बीच में दंगे करवाए गए। तीन महीनों से जारी इन राज्य प्रायोजित हिंसा में अब तक 160 लोग मारे जा चुके हैं। 50 हजार लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। अनेकों महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घृणित घटनाएं घटी हैं। दो महिलाओं के साथ हुए वीभत्स कांड को तो पूरा देश देख ही चुका है। इन घटनाओं का देश और दुनिया में हर जगह विरोध हो रहा है। हर जगह मोदी सरकार की थू-थू हो रही है। ऐसे में देश के भीतर अपने विरोध से बौखलाई बीजेपी और पूरी संघ मंडली अपने खिलाफ उठ रही हर आवाज को दबाने पर आमादा हैं। गोछी में इमके व पछास के साथियों पर हुआ हमला इसी की तसदीक करता है।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र इंकलाबी मजदूर केंद्र तथा परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथियों पर हुई इस हमले तथा पुलिस प्रशासन की लापरवाही की कठोर निंदा करता है तथा इमके और पछास के साथियों के साथ उनके संघर्ष में खड़ा है ।

*क्रांतिकारी अभिवादन के साथ
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र

July 21, 2023

मणिपुर की महिलाओं के साथ हुई हिंसा के खिलाफ एकजुट हो!

मणिपुर मई माह की शुरुआत से ही जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है। जब से मणिपुर में हिंसा की घटनाऐ होनी शुरु हुई तब से ही वहां इंटरनेट बंद कर रखा था। आज लगभग ढाई महीने बाद मणिपुर में जब इंटरनेट खोला गया है तब दिल को दहला देने वाला खौफनाक वीडियो सामने आया है। 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर जारी इस वीडियो में दंगाई पुरुषों का एक समूह दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाते हुए और उनका यौन उत्पीड़न करते हुए नजर आ रहा है। इनमे से एक महिला जो 19 वर्षीय लड़की है को खेत में ले जाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। यह घटना 3 या 4 मई की बतायी जा रही है। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद मणिपुर में तनाव और अधिक फैल गया है। 
           बताया जा रहा है कि यह घटना राजधानी इंफाल से 35 किमी. दूर कांगपोकपी जिले में बी फेनोम गांव की है। ये महिलायें कुकी समुदाय की हैं और दोषी मैतेई समुदाय से हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि मणिपुर में पिछले ढाई महीने से जारी हिंसा में महिलाओं के साथ किस तरह की यौन बर्बरता की गयी होगी। ज्ञात हो कि अब तक मणिपुर में हुई हिंसा में 160 लोग मारे जा चुके हैं और 50,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। घटना के वीडियो के सामने आने के बाद मोदी सरकार की चारों तरफ थू थू हो रही है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार के राज में महिलाओं के साथ इतनी बर्बरता की जा रही है जो कि शर्मनाक है।

            मणिपुर हिंसा पर लगातार विपक्ष और सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी से प्रश्न होते रहे हैं। लेकिन मोदी हैं कि बिलकुल चुप लगाकर बैठे हुए हैं। न केवल वे चुप लगाये हैं बल्कि वे इस बीच लगातार विदेशों के दौरे करते रहे हैं लेकिन मणिपुर जाने का समय वे नहीं निकाल पाये। प्रधानमंत्री मोदी के इस व्यवहार से स्पष्ट होता जा रहा है कि वे तभी किसी राज्य में जाते हैं जब वहां चुनाव होते हैं। चुनाव में बड़े-बड़े वायदे और भाषणबाजी करके वे वहां से निकल आते हैं और फिर वहां क्या हो रहा है इससे उन्हें कोई खास मतलब नहीं होता है। हां, किसी भी मौके पर वे विपक्ष खासकर कांग्रेस को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष निशाना बनाने से नहीं चूकते हैं। मणिपुर के वीडियो के वायरल होने पर अपना मुंह खोलते हुए उन्होंने इस घटना की निंदा की और दोषियों को सख्त सजा देने की बात की लेकिन साथ ही यह भी कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ या मणिपुर कोई भी राज्य हो इस तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। और साथ ही उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों को भी कहा कि वे अपने-अपने यहां कानून व्यवस्था को सख्त रखें। आखिर ज्ञान देने में मोदी जी कभी भी पीछे नहीं रहते।

          प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र का स्पष्ट मानना है कि न तो मणिपुर में यह एक मात्र घटना है और न समाज में। इस तरह की जातीय, नस्लीय, सांप्रदायिक हिंसा में ऐसी तमाम घटनाएं होती हैं। चाहे वह 1984 के दंगे हो या फिर 2002 के गुजरात के दंगे हो या दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हो इन दंगो और उसके बाद बिस्थापन का सबसे ज्यादा दंश महिलाओं और बच्चों को ही झेलना पड़ता है।

           मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ उसके पीछे की मूल वजह देखी जाये तो वही है जो सदियों से युद्ध के समय होती आ रही है। वह है एक समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार, सामूहिक बलात्कार करके या अन्य कोई वीभत्स अपराध करके उस समुदाय को अपमानित महसूस कराया जा सके। लेकिन आज अगर मणिपुर में ऐसा हो रहा है तो उसके पीछे इस मानसिकता के साथ साथ कहीं न कहीं संघ-भाजपा का वो नजरिया है जो उसने महिलाओं के मामले में अपनाया हुआ है। कुछ घटनाओ से उनके इस नजरिये का पता चलता है।

       15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने महिलाओं के साथ हो रहे अपराधो पर घड़ियाली आंसू बहाए, महिलाओं का सम्मान करने को लेकर एक सुन्दर सा भाषण लाल किले से दिया था। लेकिन उसके बाद उसी दिन गुजरात में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने वाले 11 अपराधियों को छोड़ दिया गया। ये अपराधी कौन थे? इस बारे में सभी जानते हैं। इसी प्रकार कठुआ कांड में आसिफा प्रकरण के दौरान भी भाजपा से जुड़े लोगों ने अपराधियों को बचाने के लिए तिरंगा रैली निकाली थी। अभी हाल ही में महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण के ऊपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया और पोस्को के तहत मुकदमा भी दर्ज हो गया लेकिन आज तक उसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई है आज भी वह भाजपा पार्टी और संसद में बैठा हुआ है। 

       प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र समाज में हो रही वीभत्स घटनाओ पर क्षोभ व्यक्त करता है। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र का स्पष्ट मानना है कि समाज में इन घटनाओ के बाद कुछ प्रतिक्रिया तो हुई लेकिन जैसी तीखी प्रतिक्रिया होनी चाहिए थी वैसी नहीं हो पाई। क्योंकि संघ-भाजपा ने पिछले 9 सालों में समाज को हिन्दू-मुसलमान, जाति-धर्म में इतना बांट दिया है कि वे ऐसी घटनाओं को भी हिन्दू-मुसलमान, जाति-धर्म के नजरिये से देखते हैं। 

          संघ-भाजपा ने मणिपुर में भी वर्षों से मैतेई समुदाय का हिन्दूकरण किया है और कुकी सहित अन्य जनजातियां जो ईसाई धर्म को मानती हैं के खिलाफ नफरत का बीज बोया है जिसकी फसल वे मणिपुर विधानसभा चुनाव के दौरान काट चुके हैं। दरअसल जो भीड़ उन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रही थी और बलात्कार कर रही थी वह पुरुष प्रधान मानसिकता से लैस तो थी ही लेकिन संघ-भाजपा ने जो उनका हिन्दूकरण कर साम्प्रदायिकता का बीज बोया है, उससे भी लैस थी। इसलिए मणिपुर में इतनी खौफनाक और वीभत्स घटना हुई है।

          यह मामला इतना बड़ा बन चुका है इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को ढाई महीने बाद मजबूरी में इस घटना पर बोलना पड़ा और सभी मुख्यमंत्रियों से कानून व्यवस्था कड़ी करने की बात करनी पड़ी और हो सकता है कि इस दवाब में कुछ अपराधियों को सजा हो भी जाये। 

          लेकिन क्या इससे समस्या का समाधान होगा? जाहिर सी बात है कि जब तक पुरुष प्रधान मानसिकता और उस मानसिकता को जिसे संघ-भाजपा ने वर्षों से समाज में बोयी है को खत्म नहीं किया जायेगा तब तक इस तरह की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है।

          इसके लिए आम मेहनतकश मजदूरों, महिलाओं को एकजूट होकर संघ-भाजपा जैसी घोर जनविरोधी, महिला विरोधी फासीवादी सरकार के खिलाफ संघर्ष करने की जरुरत है और ऐसे समाज को बनाने की जरुरत है जिसमें महिलाओं को बराबरी व सम्मान मिले।
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