गतिविधियां

 अक्टूबर क्रांति ः सबक और प्रासंगिकता
18 दिसम्बर दिल्ली, अक्टूबर क्राति शताब्दी वर्ष समारोह समिति (घटक संगठन- इंकलाबी मजदूर केन्द्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र) तथा जन संघर्ष मंच (हरियाणा) द्वारा संयुक्त रूप से 1917 की अक्टूबर क्रांति के जारी शताब्दी वर्ष पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का विषय ‘अक्टूबर क्रांतिः सबक और प्रासंगिकता’ था। सेमिनार में अक्टूबर क्राति शताब्दी वर्ष समारोह समिति द्वारा ‘संकटग्रस्त पूंजीवाद विकल्प सिर्फ और सिर्फ समाजवाद’ शिर्षक से सेमिनार पेपर भी रखा गया जिस पर सेमिनार में उपस्थित सभी साथियों ने सहमति जतायी।
सेमिनार पेपर पर अपनी बात रखते हुए इंकलाबी मजदूर केन्द्र के साथी नगेन्द्र ने कहा कि ‘आज पूरी विश्व अर्थव्यवस्था संकट का शिकार है। भारत समेत तमाम देशों में बेरोजगारी से लेकर समाजिक असमानता लगातार बढ़ती जा रही है। संकट से बर्बाद जनता को बांटने व उनके दमन के लिए पूंजीवादी शासक निरंतर फासीवादी ताकतों की गोद में बैठते जा रहे हैं। यही कारण है कि प्रत्येक देश में दक्षिणपंथी ताकतें मजबूत हो रही हैं जो पहले से ही तबाह मेहनतकश जनता को और निचोड़ने का काम कर रही हैं। पूंजीवादी व्यवस्था द्वारा पैदा किए गए इस संकट का हल केवल और केवल पूंजीवादी व्यवस्था के अंत में है। समाजवाद ही पूरी दुनिया को इन संकटों और फलस्वरूप फासीवाद से मुक्ति दिला सकता है।’
सेमिनार में बात रखते हुए जन संघर्ष मंच के साथी श्याम सुन्दर ने कहा कि महान अक्टूबर क्रांति पहली ऐसी क्रांति थी जिसने मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण को खत्म कर दिया। ये पहली ऐसी क्रांति थी जिसमें मेहनकश तबका सत्ता को चला रहा था और जिसने ये साबित किया कि ये दुनिया पूंजीपतियों के बगैर बहुत बेहतर तरीके से चलायी जा सकती है। उन्होने रूसी क्रांति से सबक निकालते हुए भारत में भी क्रांति की जरूरत पर जोर दिया और इसके जिए सभी क्रांतिकारी ताकतों को माक्र्सवादी विचारों पर एक होने का विचार रखा।
परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथी दीपक ने अक्टूबर क्राति के सबक पर बात रखते हुए कहा कि ‘ अक्टूबर क्राति ने साबित किया कि माक्र्सवाद कोई जड़सूत्रवादी सिद्धांत नही है बल्कि ये दुनिया को बदलने का विज्ञान है। आज भारत के भीतर सरकारी वामपंथियों द्वारा चुनाव के जरिए क्रांति लाने की बातें की जा रही हैं। व्यवस्था परिवर्तन के रास्ते को छोड़ चुकी ये पार्टियां पूंजीपति वर्ग की बी टीम हैं। अक्टूबर क्रांति के सबको में एक सबक ये भी है कि मजदूर आंदोलन से जब तक ऐसी ताकतों को बाहर नही किया जाता तब तक मजदूर वर्ग क्रांति की ओर आगे नही बढ सकता है। अक्टूबर क्रांति ने ये साबित किया कि पूंजीवाद द्वारा जनित सभी बिमारियों जैसे-बेरोजगारी, गरीबी, वेश्यावृत्ति, राष्ट्रीय समस्या, मंदी आदि का हल सिर्फ और सिर्फ समाजवाद ही कर सकता है। इसलिए भी छात्रों-नौजवानों को मजदूर वर्ग के साथ मिलकर समाजवाद की दिशा में संघर्षों को तेज करने की जरूरत है।’
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की रिचा ने ‘अक्टूबर क्रांति और महिलाएं’ विषय पर बात रखते हुए कहा कि अक्टूबर क्रांति में मजदूर महिलाएं, पुरूष मजदूरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूंजीपति वर्ग के खिलाफ संघर्ष कर रही थी। अक्टूबर क्रांति ने पहली बार वो परिस्थितियां उपलब्ध करायी जो महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक गुलामी को तोड़ने का काम करती थी। महिलाओं को सामाजिक उत्पादन से जोड़ते हुए समाजवादी समाज ने उन्हें समाज में बराबरी के फैसले लेने का अधिकार दिया। जायज-नाजायज सभी बच्चों की जिम्मेदारी राज्य की होती थी। सामूहिक भोजनालय, शिशुपालन गृह आदि के द्वारा समाजवादी समाज ने महिलाओं के पैरों में पड़ी पारिवारिक बेड़ी को छिन्न-भिन्न कर दिया। अक्टूबर क्रांति ने दिखाया कि महिलाओं की मुक्ति केवल और केवल समाजवाद में ही सम्भव है।’
सेमिनार में जन संघर्ष मंच के सी. डी. शर्मा, कविता विद्रोही] इंकलाबी मजदूर केन्द्र के श्यामवीर, योगेश, डब्लू.एस.एस. की पायल, क्रांतिकारी नौजवान सभा के पराग, डीयू के छात्र मनीष आदि वक्ताओं ने भी बात रखी। अक्टूबर क्रांति शताब्दी वर्ष समारोह समिति तथा जन संघर्ष मंच के साथियों ने क्रांतिकारी गीतों के साथ सेमिनार का समापन किया।
















प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की विभिन्न इकाइयों द्वारा पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस



















प्रथम विश्व युद्ध को 100 वर्ष पुरे हो चुके है जिसमे आधी दुनिया की मेहनतकश जनता साम्राज्यवादी देशो की लूट और दमन का शिकार हुयी थी।।

आज के समय में साम्राज्यवादियों की लूट और भी ज्यादा नग्न रूप में बढ़ रही है जैसे इजराइल फिलिस्तीन की जनता का दमन कर रहा है।।

28 जुलाई को लालकुँआ के बिन्दुखत्ता ग्राम में परिवर्तनकामी छात्र संगठन और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने प्रथम विश्व युद्ध में मारे गये लोगों को श्रधांजलि देते हुए सभा व् इसरायली साम्राज्यवाद का पुतला दहन और फिलिस्तीनी जनता के संघर्षों का समर्थन किया।।।   


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इस्राइल द्वारा फिलस्तीन पर किए जा रहे हमलों के विरुद्ध पुतला दहन
इस्राइली शासकों द्वारा अपने विस्तारवादी मंसूबों को आगे बढ़ाने के लिए फिलिस्तीन पर जारी हवाई और जमीनी हमलों के विरोध में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने परिवर्तनकामी छात्र संगठन, इंकलाबी मजदूर केंद्र और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के साथ मिलकर 24 जुलाई 2014 को लालकुंआ में इस्राइली साम्राज्यवादी शासकों का पुतला दहन किया।


बंदायु में दो बहनों के साथ हुए बलात्कार की घटना के विरुद्ध दिल्ली में प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के बंदायू जिले में दो बहनों के साथ हुए बलात्कार तथा हत्या के विरुद्ध नई दिल्ली में 6 जून को विभिन्न जनसंगठनों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल मार्ग पर स्थित उत्तर प्रदेश भवन के सामने प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को दोषिय़ों के खिलाफ कार्वाई संबंधी ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में निम्न मागें शामिल थीं –
1.       बदायूं बलात्कार-हत्या के सभी आरोपियों को  गिरफ्तार कर उन पर बलात्कार व हत्या का
 मुकदमा चलाया जाये।
2.        यू0 पी0 में तमाम महिला महिला हिंसा, यौन हिंसा बलात्कार से जुड़े मामलों को तत्काल हल किया जाये व महिलाओं की सुरक्षा की व्यवस्था के लिये तत्काल ठोस कदम उठाये जायें।
3.       आरोपियों को  बचाने में शामिल सभी पुलिस कर्मियों व अधिकारियों को  गिरफ्तार किया जाये, व उन्हें नौकरी के अयोग्य घोषित करते हुए उनकी नौकरियां खत्म की जाएं।
4.        महिला विरोधी अश्लील संस्कृति, विज्ञापनों, फिल्मों, गीतों को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाये।
5.       सभी महिलाओं को मुफ्त शिक्षा व सम्मानजनक रोजगार की व्यवस्था की जाये।
6.        उत्पीडि़त परिवार व महिलाओं के पुनर्वास व रोजगार की तत्काल प्रभाव से उचित व्यवस्था की  जाये।
प्रदर्शन के दौरानी सभी संगठनों की एक संयुक्त सभा भी हुई। सभा की शुरुआत में विपल्व सांस्कृतिक मंच की तरफ से प्रस्तुत गीत तोड़-तोड़ के बंधनों को देखो बहनें आती हैं... से हुई। सभा में परिवर्तनकामी छात्र संगठन की सदस्य शिप्रा ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध हो रहे इन अपराधों के मूल में उपभोक्तावादी और अश्लील संस्कृति है। विपल्व सांस्कृतिक मंच की तरफ से सुमित ने कहा कि देश में बढ़ रहे बलात्कार व महिलाओं के साथ यौन मामलों से लड़ने के लिए पुरुष प्रधान मानसिकता को निशाना बनाना होगा जिसमें महिलाओं को सिर्फ उपभोग की वस्तु समझा जाता है। इसके अलावा सभा में इंकलाबी मजदूर केंद्र से कुसुम, क्रातिंकारी नौजवान सभा से मेघना तथा प्रगतिशील महिला एकता केंद्र से ऋचा ने अपने विचार रखे। सभा के अंत में परिवर्तनकामी छात्र संगठन तथा प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा नारी मुक्ति झंडा हम फहराएंगे गीत प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी नौजवान सभा, विपल्व सांस्कृतिक मंच तथा परिवर्तनकामी छात्र संगठन के सदस्यों ने भाग लिया।





बंदायु में दो बहनों के साथ हुए बलात्कार की घटना के विरुद्ध रामनगर में रैली

रामनगर। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, महिला समाख्या, नौजवान भारत सभा, व आदि संगठनों और रामनगर हार के सामाजिक व जागरूक लोगो द्वारा एक रैली व सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्र27 मई 2014 को बदायूं जिले में दो नाबालिग लड़कियों के साथ गैंगरेप के बाद हत्या के विरोध में आयोजित किया गया। रैली हाीद चौक लखनपुर से हार के मुख्य मार्गो से होते हुए पुरानी तहसील तक निकाली गयी। रैली में अलील संस्कृति, यौन हिंसा, पुरू प्रधान मानसिकता के विरोध में नारे लगाये गये।
                वक्ताओं ने कहा कि पूंजीवादी व्यवस्था मेहनतककशों के शोषण पर टिकी है यह खेतों में किसानों का, फैक्टरियों में मजदूरों का, गरीब फड खोमचे वालों का शोषण करती है और मेहनतकशों परिवारों की महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए भी यही व्यवस्था जिम्मेदार है। पूंजीपति वर्ग और इस वर्ग की महिलाएं तो यदा कदा ही इस तरह की हिंसा की शिकार होती है किन्तु मेहनतकश महिलाएं दे में रोज ही इस तरह के घिनोने अपराधों की -शिकार हो रहीं हैं। पूंजीपति वर्ग की महिलाओं के प्रति यदा कदा होने वाली हिंसा पर तो दे की पुलिस, मीडिया, पूरा सरकारी अमला मुस्तैद हो जाता है किन्तु मेहनतक की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। इन्हें इस व्यवस्था के भीतर न्याय नहीं मिलता।
वक्ताओं ने महिला हिंसा रोकने के लिए पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष की जरूरत को पुरजोर तरीके रखा।
                6 जनू के कार्यक्रम से पहले हार के विभिन्न चौराहों पर महिला हिंसा के विरोध में हस्ताक्षर करवाये गये। लगभग 700 लोगों ने हस्ताक्षर किये। हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन प्रधानमंत्री को भेजा गया।
ज्ञापन में मांग की गयी कि- महिलाओं को निुल्क -शिक्षा व सम्मान जनक रोजगार दिया जाए। अश्लील संस्कृति पर रोक लगायी जाए। और पुरू प्रधान मानसिकता के खिलाफ विशेष कार्यक्रम चलाएं जाएं।









नशाखोरी एवं शराबखोरी के विरुद्ध रैली

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने दिल्ली स्थिति शाहबाद डेरी की झुग्गी बस्ती की स्थानीय महिलाओं के साथ मिलकर 16 फरवरी, रविवार, को बढ़ती शराबखोरी, महिलाओं और बच्चियों के साथ छेड़-छाड़, यौन हिंसा तथा घरेलू हिंसा के विरुद्ध एक रैली निकाली। गौरतलब है कि शाहबाद डेरी के इलाके में पिछले दिनों में तेजी से वैद्य-अवैद्य शराब की बिक्री बढ़ी है जिसकी वजह से वहां पर नौयुवकों से लेकर छोटे-छोटे बच्चे शराब और अन्य तरह के नशे की गिरफ्त में आए हैं । इसके परिणाम स्वरूप वहां पर छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और यौन हिंसा की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके साथ ही घरेलू हिंसा की घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इस शराबखोरी और नशाखोरी के खिलाफ इस इलाके की महिलाओं में काफी रोष है।

इन्हीं घटनाओं के मद्देनजर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और इलाके की स्थानीय महिलाओं ने मिलकर शराबखोरी और नशाखोरी के विरुद्ध एक मुहिम की शुरुआत की जिसकी पहली कड़ी के रूप में 16 फरवरी को यह रैली निकाली गई। रैली इलाके के अंदर एफ-ब्लाक से शुरु हो ए-ब्लाक से होते हुए प्रताप चौक तक गई जहां पर अंत में एक छोटी सी सभा के बाद
रैली का समापन हुआ। रैली में शराबखोरी, नशाखोरी, यौन उत्पीड़न तथा घरेलू हिंसा के खिलाफ नारे लगाए गए। सभा के अंत में सभी महिलाओं ने इस मुहिम को जारी रखने का निश्चय किया।
रैली में परिवर्तनकामी छात्र संगठन और इंकलाबी मजदूर केन्द्र के साथियों ने भी भाग लिया।

















66वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली की मज़दूर बस्ती शाहबाद डेरी में आम सभा की जिसे कुछ तस्वीरों के माध्यम से ब्लॉग पर आपके साथ साझा कर रहे हैं. 







मारुती सुजुकी  के मजदूरों  के संघर्षों के साथ एकजुटता कायम करने के लिए दिल्ली के विभिन्न जनवादी संगठनों  का विरोध प्रदर्शन 








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