January 30, 2015

‘‘दुनिया के सबसे बड़ी हत्यारी हुकूमत के मुखिया ओबामा को गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि बनाये जाने का विरोध करो’’



24 जनवरी को नरेंद्र मोदी द्वारा साम्राज्यवादी देशों के सरगना अमरीका के खुनी राष्ट्रपति बराक ओबामा को 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर गणतंत दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनाये जाने के विरोध में क्रान्तिकारी जनवादी संगठनो तथा शांतिप्रिय जनता  ने पूरे देश में प्रदर्शन किये।  इसी कड़ी में दिल्ली के विभिन्न संगठनो ने जंतर - मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।   
इस विरोध प्रदर्शन को इमके, इफ्टू, ए.आई.एस.टी.यू. (न्यू), आई.सी.टी.यू., मजदूर एकता केन्द्र, पछास, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, डी.एम.यू., पी.टी.एफ.आई., सी.पी.आई.एम.एल. (रेड स्टार), क्रांतिकारी नौजवान सभा आदि संगठनों व मोर्चा मजदूर पत्रिका, संहति व देश विदेश जैसी पत्रिकाओं ने आयोजित किया था।
प्रदर्शन में वक्ताओं ने जंगबाज  साम्राज्यवादी देश अमरीका के सामने भारत की संप्रभुता को बिछाने का विरोध किया। वक्ताओं ने कहा की देश को इतना लज्जित किसी ने नहीं किया, जितना मोदी सरकार ने किया है।  देश में चप्पे -चप्पे को अमरीकी एजेंसियों के हवाले कर दिया गया है।   
बराक ओबामा को भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाना साम्राज्यवादियों  से देश की मुक्ति के लिए संघर्ष में मारे गए शहीदों का अपमान है।  उन्होंने मज़दूर विरोशी नीतियों को आगे बढ़ाते हुए मज़दूरों के शोषण को चरम पर पहुँचाने और देश को सांप्रदायिक शक्तियों के हाथों में पहुंचते हुए सांप्रदायिक दंगों के बढ़ जाने को चिन्हित करते हुए देशी - विदेशी पूँजी के गठजोड़ का विरोध किया।   

महिला उत्पीड़न व न्याय में देरी के विरोध में महिलाओं ने निकला जुलूस



दिनांक 19 जनवरी को रामनगर, उत्तराखंड में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र के नेतृत्व में महिला उत्पीड़न व न्याय में देरी के विरोध में महिलाओं ने जुलूस निकला तथा SDM   के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा। जुलूस के बाद महिलाओं ने SDM कोर्ट परिसर में एक सभा की। सभा में आये वक्ताओं ने कहा की तलाक की कार्यवाई में विलम्ब होने से महिलाओं को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है।  महिलाओं को गुजारा-भत्ता देने के आदेश के बावजूद भी पति/परिजनों द्वारा भरण-पोषण की राशि नहीं दी जाती है। ऐसी स्थिति में उनकी आर्थिक स्थिति ख़राब हो जाती है। मामले के लम्बा खिंचते चले जाने पर उनको और ज्यादा आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अतः उनकी मांग सरकार से यह थी कि  पति/परिजनों द्वारा भरण-पोषण न दिए जाने की स्थिति में यह जिम्मेदारी सरकार उठाये तथा उनके केसों को जल्दी निपटने की लिए सरकार फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करे।  इसके अलावा उनकी मांग यह भी थी कि सरकार महिलाओं के तलाक व भरण-पोषण से सम्बंधित केसों के निपटारा करने के लिए वकीलों का पैनल गठित करे तथा उसकी फीस भी सरकार वहन करे। सभा में शामिल क्रांतिकारी व प्रगतिशील संगठनों ने महिलाओं की इन मांगों का समर्थन किया। ज्ञापन में मांग की गई कि :-

1           महिलाओं के तलाक व भरण-पोषण संबंधी मुकदमों की सुनवाई हेतु फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर 6 माह के भीतर मुकदमों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाये। 
2            महिलाओं के लिए न्यायलय द्वारा निर्धारित भरण-पोषण द्वारा भुगतान न किये जाने पर भरण-पोषण की जिम्मेदारी सरकार स्वयं उठाये। 
3             महिलाओं के तलाक व भरण-पोषण संबंधी मुकदमों की पैरवी हेतु न्यायालयों में विशेषज्ञ वकीलों का पैनल गठित किया जाये तथा वकीलों की फीस का भुगतान सरकार द्वारा किया जाये।  














January 22, 2015

ये कैसा लोकतंत्र? लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व पर विरोध के स्वर को उत्तराखंड की मित्र पुलिस ने किया लॉक-अप में बंद



ओबामा की यात्रा का विरोध करने पर इंकलाबी मज़दूर केन्द्र के अध्यक्ष व अन्य कार्यकर्ता गिरफ्तार 

बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले ही विरोध की आवाजों को दबाने व कुचलने का उपक्रम शुरू हो चुका है। इंकलाबी मज़दूर केन्द्र के अध्यक्ष  कैलाश भट्ट व परिवर्तनकामी छात्र संगठन के केन्द्रीय कमेटी सदस्य महेन्द्र को उत्तराखण्ड के रुद्रपुर कोतवाली की पुलिस द्वारा बातचीत के लिये बुलाया गया. कैलाश भट्टपरिवर्तनकामी छात्र संगठन के महेन्द्र के साथ जब कोतवाली पहुंचे तो पुलिस ने दोनों साथियों को गिरफ्तार कर लिया। 

January 12, 2015

साथी दानवीर के संघर्षों को लाल सलाम

साथियों,

7 जनवरी की रात इंकलाबी मजदूर केंद्र के एक क्रांतिकारी नेता साथी दानवीर हमारे  बीच नहीं रहे। साथी दानवीर की यह आकस्मिक और असमय मृत्यु से हम सभी शोकसंतप्त हैं।

इंकलाबी मजदूर केंद्र के पूर्णकालिक कार्यकर्ता साथी दानवीर अपने छात्र जीवन से ही समाज परिवर्तन व शोषण विहीन समाज की स्थापना के संघर्ष से जुड़ गए थे और इसे अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य बना लिया था। वह छात्र जीवन के दौरान ही परिवर्तनकामी छात्र संगठऩ में शामिल हुए और छात्र जीवन पूरा होने के बाद पहले क्रांतिकारी लोकअधिकार संगठन व उसके बाद में इंकलाबी मजदूर केंद्र में शामिल होकर मजदूर वर्ग के मुक्ति संघर्ष के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। साथी दानवीर एक जुझारू व समर्पित कार्यकर्ता थे जो पूरी लगन के साथ अंतिम समय तक संगठन का काम करते रहे। साथी दानवीर के रूप में मजदूर मुक्ति संघर्ष  ने एक जुझारू योद्धा खो दिया है।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र मजदूर मेहनतकशों के इस संग्रामी योद्धा को भावभीनी श्रंद्धाजलि देता है और संकल्प लेता है कि वह साथी दानवीर के शोषण विहीन समाज के लिए संघर्ष के परचम को हमेशा बुलंद रखेगा।




        
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