November 13, 2013

पीडि़त महिला को न्याय दिलाने के लिए प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र व महिला समाख्या ने किया आन्दोलन 

       रामनगर में महिला गीता चौधरी को न्याय दिलाने के लिए  प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र व महिला समाख्या द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन को जारी रखते हुए दिनांक 26 अक्टूबर को रामनगर में गीता चौधरी को न्याय दिलाने के लिए प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र व महिला समाख्या के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया। ज्ञात हो कि गीता चौधरी  का अपने पति से तलाक के संबंध में मुकदमा चल रहा था। उसने अपने मुकदमे के संबंध में उसने एक वकील नियुक्ति किया था। वह वकील उसके बाप की उम्र से भी बड़ा था। जैसा कि समाज में तलाकशुदा, परित्यक्ता, अकेली महिला के साथ होता है वैसा ही गीता चैधरी के साथ भी हुआ। उस वकील ने गीता चौधरी  ने पहले तो उसको अश्लील प्रेम पत्र लिखे और बाद में उसको होटल में चलने के लिए दबाव डालने लगा। उसने अपने घर में भी उसे अकेले बुलाकर उसका यौन शोषण करना चाहा। गीता पहले तो उसकी इन नापाक हरकतों का सहन करती रही बाद में उसने इसकी शिकायत उसकी पत्नी से की तो समाज में मौजूद पुरुष प्रधान मानसिकता के चलते उसकी पत्नी ने गीता पर ही उसके पति को गलत ठहराने का आरोप जड़ दिये। इससे वकील के हौंसले बढ़ गये। फिर एक दिन उस वकील ने वेणु नेत्र संस्थान में इलाज कराने गयी गीता चौधरी  का हाथ पकड़कर उसको कार में खींचने की कोशिश की। गीता बड़ी मुश्किल से हाथ छुड़ाकर वहां से भागी।
अब गीता ने उसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज करने की ठानी। इस सिलसिले में वह प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की कार्यकर्ताओं से मिली। उन्होंने गीता को साथ लेकर थाने में रिपोर्ट लिखा दी। एक गरीब मेहनतकश महिला के द्वारा उसकी नापाक हरकतों का विरोध करने पर वकील बौखला गया। उसने गीता को हौंसले को तोड़ने के लिए उसकी नौकरी छुड़वा दी। और उसके बाद वह जहां कहीं भी नौकरी करने गयी तो उसने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए उसकी वहां से नौकरी छुड़ा दी। चूंकि यह मामला केवल गीता का ही नहीं बल्कि महिलाओं के साथ होने वाली एक आम समस्या है। इसलिए इस मामले को उठाते हुए महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न व अन्य प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ प्र.म.ए.के. व महिला समाख्या ने 26 अक्टूबर को रामनगर के मुख्य मार्गों से होते हुए एक जुलूस निकाला तथा एसडीएम कोर्ट पर एक सभा की।
जुलूस के दौरान ‘आरोपी वकील सुरेश चन्द्र गुप्ता का लाइसेंस रद्द करो’, ‘गीता चौधरी को न्याय दो’ आदि नारे लगाते हुए महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा का विरोध किया गया। जुलूस में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, ठेका मजदूर कल्याण समिति मोहान, भोजन माता संगठन, महिला जागृति संघ आदि मजदूर व सामाजिक संगठन तथा सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। 
सभा में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज कानून की किताबों में महिलाओं के लिए ढे़र सारे अधिकार मौजूद हैं परन्तु व्यवहार में उन पर अमल नहीं होता है। महिलायें अपनी बदनामी के डर से अपना मुंह बन्द रखना ही बेहतर समझती हैं। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में यदि आरोपित व्यक्ति गरीब है तब तो आरोपी व्यक्ति को सजा मिल भी जाती है। परन्तु जब आरोपित व्यक्ति अमीर होता है तो महिला को न्याय मिल पाना मुश्किल हो जाता है। समाज में महिला को ही कुल्टा, कुलक्षिणी कहकर बदनाम किया जाता है और पुरुष प्रधान मानसिकता के चलते आरोपित व्यक्ति चैन से घूमता है और महिला को अपनी पहचान छुपाकर घूमना पड़ता है।
    गीता चौधरी के साथ भी ऐसा ही हुआ। जब गीता चौधरी अपने पति से तलाक के मुकदमे के संबंध में वकील से मिली तो बाप की उम्र के उस वकील ने गीता चौधरी की बेबसी, लाचारी व कमजोरी का फायदा उठाना चाहा लेकिन गीता चौधरी एक खुद्दार लड़की निकली और उसने वकील की नापाक हरकतों का विरोध किया। बाद में वकील की हरकतों से तंग आकर उसने उसके खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी और फिर वकील ने उसे तोड़ने के लिए अपने रसूख का इस्तेमाल किया। वह जहां भी नौकरी करने जाती तो आरोपी वकील अपने सामाजिक संबंधों का फायदा उठाकर उसे नौकरी से निकाल देता। कोर्ट में गवाही के दौरान 15-20 वकील उस लड़की के साथ जिरह करके उस लड़की को तोड़ने की कोशिश करते रहे परन्तु गीता चौधरी ने हार नहीं मानी। 

 महेश जोशी ने अपने भाषण में कहा कि वह गीता चौधरी के साहस को सलाम करते हैं जो आज दृढ़तापूर्वक अपनी लड़ाई को लड़ रही है। उसके इस साहस से अन्य महिलायें भी अपनी लड़ाई लड़ने आगे आयेंगी।
    सभा में एक अन्य वक्ता ने कहा कि ऐसे रसूखदार व्यक्तियों का जो समाज में अपराध करके अपने पैसे के दम पर कानून को खरीदकर छूट जाते हैं ऐसे व्यक्तियों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए ताकि दूसरे लोग भी गलत काम करने से सौ बार पहले सोचें।
सभा के बाद एक ज्ञापन जिलाधिकारी नैनीताल को सौंपा गया तथा जिसमें महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित तीन मांगें रखी गयी है-
1. सुरेश चन्द्र गुप्ता को कड़ी सजा दी जाए व उसका लाइसेंन्स रद्द किया जाए।

2. न्यायालयों में महिलाओं से संबंधित मामलों के मुकदमों को लड़ने के लिए महिला वकीलों का एक पैनल गठित किया जाए   तथा महिला वकीलों की फीस का भुगतान सरकार द्वारा किया जाए।

3. न्यायालय द्वारा आदेशित गुजारा भत्ता की राशि के भुगतान करवाए जाने की गारंटी सरकार द्वारा सुनिश्चित की जाए। इन मांगों के साथ सभा समाप्त की गयी।

October 21, 2013

शाहबाद डेरी (दिल्ली) में मेडिकल कैम्प

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र और प्रोगरेसिव मेडिकोस फोरम की सहभागिता में 20 अक्टबूर,रविवार, को रोहिणी के नजदीक स्थित मजदूर बस्ती, शाहबाद डेरी, में एक मेडिकल फोरम का आयोजन किया गया। पिछले कुछ समय से इस बस्ती के लोग डेंगू से बुरी तरह से प्रभावित हैं। इस बस्ती में पीने के पानी से लेकर सफाई तक की स्थिति कहीं से कहीं तक भी एक जिंदा इंसान के रहने लायक नहीं कहीं जा सकते हैं। इस कैम्प का मकसद शाहबाद डेरी की जनता के साथ जुड़ाव बनाकर उनके संघर्षों को एक नए धरातल पर ले कर जाना है।











































प्रगतिशील महिला एकता केंद्र तथा इंकलाबी मजदूर केंद्र ने दिल्ली की शाहबाद डेरी मजदूर बस्ती में डेंगू फैलने  के विरोध  में नगर निगम कार्यालय, सेक्टर-5, रोहिणी, दिल्ली पर अपनी मांगें रखते हुए विरोध प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में शाहबाद डेरी के पुरुषों और महिलाओं ने भागीदारी कर प्रदर्शन को सफल बनाया. प्रदर्शनकारियों ने शाहबाद डेरी में नियमित सफाई, छोटी गलियों में सफाई के लिए हाथ से चलने वाले छोटी गाड़ियों की व्यवस्था करने, प्रतिदिन मच्छर मरने वाली दवाई डालने, सफाई कर्मचारियों का ठेकाकरन बंद करने तथा उनकी स्थाई नियुक्ति की मांग की. इसके अलावा शाहबाद डेरी में कम से कम 3 सरकारी डिस्पेंसरी और एक सरकारी अस्पताल खोलने की मांग की गई.
प्रदर्शन  में जनता की भागीदारी बनाने तथा जागरूकता फ़ैलाने के लिए बड़े पैमाने पर बस्ती में परचा वितरण किया गया.
प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधि नगर निगम कार्यालय में अधिकारीयों से मिले। अधिकारियों द्वारा मौखिक तौर पर अधिकतर मांगें मान ली गईं.  

    

October 18, 2013

Free Medical camp on 20.10.2013 by Pragatisheel Mahila Ekta Kendra 

Public health sector is most neglected sector in India. Workers, slum dwellers, women and poor people are worst sufferer of government's apathy for public health. During our work with working women of Shahbad Dairy a slum located on outskirt of outer Delhi we have noticed their vulnerability. Health checkup cum Health & Hygiene awareness camp is organised by Pragatisheelmahila Ekta Kendra focusing on women's health. Doctors associated with Progressive medicos forum has consented to help us in organizing this medical camp. Activists of Inqulabi Mazdoor Kendra have also joined us to organize this camp.

July 23, 2013

मारुति सुजुकी के मजदूरों ने 18 जुलाई 2012 की घटना के 1 वर्ष पूरे होने पर दिया धरना और प्रदर्शन


18 जुलाई 2012 को हुई घटना के 1 वर्ष पूरे होने पर मारुति सुजुकी मजदूरों ने 18 जुलाई से मानेसर (गुड़गांव) के ताऊ देवीलाल पार्क में धरने का कार्यक्रम तय किया था जिसे पूंजीपतियों की सरकार ने पूर्वनिर्धारित रूप में पूरा नहीं  होने दिया। इससे पहले भी 18-19 मई को भारतीय पूंजीपतियों की सरकार ने कैथल में शान्तिपूर्ण धरने पर बैठे मारुति सुजुकी के मजदूरों को 18 मई की आधी रात को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद अगले दिन हरियाणा के ग्रामीणों द्वारा मारुति सुजुकी मजदूरों के समर्थन में आयोजित प्रदर्शन पर बर्बर लाठी चार्ज किया। इस प्रदर्शन में शामिल लोगों को आंसू गैस के गोलों तथा पानी की बौछारों का भी सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारी ग्रामीण महिलाओं को बुरी तरह पीटा गया और उन्हें घसीट कर थाने ले जाया गया। इसी के साथ ग्यारह लोगों पर हत्या की कोशिश और हथियार रखने इत्यादि सहित संगीन धारायें लगाकर जेल भेज दिया गया। 
मारुती सुजुकी के मजदूरों के समर्थन में और हरियाणा पुलिस द्वारा किये गए बर्बर लाठी के विरोध में  देश के अलग-अलग हिस्सों में तथा दिल्ली में स्थित हरियाणा भवन, श्रम शक्ति भवन पर मजदूरों-छात्रों-महिलाओं के संगठनो और लोकतांत्रिक, जनपक्षधर जनता ने प्रदर्शन किये गए, जिनमे प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा भागीदारी की. 
मारुति सुजुकी के मजदूरों ने अपने वर्तमान ट्रेड यूनियन संघर्ष में यह साबित कर दिया की मजदूरों की जुझारु एकता ही मजदूरों को उनकी गुलामी की स्थिति से मुक्ति दिल सकती है. इसे बनाये रखना और बढ़ाना होगा। इसी के साथ देशभर के मजदूरों को इस तरह के संघर्षों में अपनी संग्रामी एकजुटता कायम करनी होगी।


उत्तराखंड में आई आपदा को अलग-अलग नामों से नवाजा जा रहा है. लेकिन इस सब के बीच एक बात तो हमेशा से सच रही है, वो ये कि भारत की तरह हर देश में दौर में पूंजीवादी विकास का लाभ ऊंचाई पर बैठे लोगों को ही मिला है जबकि इसका खामियाजा और दुष्परिणाम मजदूर-मेहनतकश जनता को भुगतना पड़ता है. उत्तराखंड में आई आपदा में भी यही हुआ बड़े-बड़े रिसोर्ट और खनन कर मुनाफा कमाने वाले तो अपना मुनाफा ले कर चले गए और अब वहां की मजदूर-मेहनतकश जनता का सब-कुछ तबाही की भेंट चढ़ गया तब भी सरकार ने उनके कर्जों को माफ़  नहीं किया, जबकि वहां की जनता एक-एक सुविधा के लिए तरस रही है.  आप उनकी मदद के लिए यहाँ संपर्क कर सकते हैं. हम वहां की जनता की  मदद के लिए आपका आह्वान करते है. 

अपील
उत्तराखंड आपदा पीडि़तों को तात्कालिक राहत पहुंचाने के लिए आर्थिक व भौतिक मदद (स्वयं सेवकों के रूप में) के साथ प्राथमिक उपचार हुतु चलाये जा रहे मेडिकल कैंप के लिए निम्न दवाइयों को इकट्ठा कर भेजने का प्रयास करें।


Antibiotics Tab....
ciplox CPM
metrogyl citrizine
cefixime syrup
doxycyclin tab PCM
azithromycin diclophenac
septran ibuprofen
lariago meftal spas
lariago500 prenisolone
levoflox rantac
oflox syrup metrogyl domestal
syrup cefexime digene
amloipine5mg digene syrup
metolar25 deriphyllin
remipril eardrop /eyedrop
permethrin ciplox/gentamycin
clotrimazole
fungid


निवेदक - उत्तराखंड आपदा राहत मंच

 

April 30, 2013

5 साल की बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के खिलाफ दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन

दिल्ली के गाँधी नगर इलाके मे 5 साल की बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के खिलाफ दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर विभिन्न जनसंगठनो ने कई दिनों तक प्रदर्शन जारी रखा .
दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर महिला संगठनों तथा विभिन्न जनसंगठनों का प्रदर्शन कई दिनों तक चलाप्रगतिशील महिला संगठन की दिल्ली इकाई के कार्यकर्ताओं ने भी इस विरोध प्रदर्शन मे हिस्सेदारी की। लोगों के गुस्से को शांत करने के लिये पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुकत को उनके पद से हटा दिया गया तथा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को भी चलता करने की बातें हो रही है। परन्तु सवाल ये है की क्या ऐसी कारवाइयों से पुलिस वालों के रवैयए में कोई बदलाव संभव है?  

April 22, 2013

 5  साल की छोटी बच्ची के साथ हुए बलात्कार और पुलिस के जनविरोधी रवैये के विरोध में प्रदर्शन 

दिल्ली के गाँधी नगर इलाके में 5  साल की छोटी बच्ची के साथ हुए बलात्कार और पुलिस के जनविरोधी रवैये के विरोध में  प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की कोटद्वार इकाई  द्वारा कोटद्वार में जुलूस निकाला गया और  कोटद्वार के झंडा चौक पर सभा कर अश्लील उपभोक्तावादी संस्कृति का पुतला फूंका. जिसमे परिवर्तनकामी छात्र संगठन, क्रान्तिकारी लोक अधिकार संगठन तथा जन अधिकार मंच ने भागीदारी की तथा  स्थानीय जनता ने कार्यक्रम को अपना समर्थन दिया. इसके अलावा कोटद्वार में ही हुए बलात्कार के बाद हत्या की घटना के लिए भी पुलिस के जनविरोधी रवैये की निंदा की.  


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