May 21, 2021

इस्रायली शासकों द्वारा फिलीस्तीन की जनता के कत्लेआम के विरोध में!

 

पश्चिम एशिया में अमेरिकी लठैत इस्राइल द्वारा फिलीस्तीन के गाज़ा पट्टी पर भीषण हवाई हमले लगातार जारी हैं। 10 मई से जारी इन हमलों में अभी तक 200 से अधिक निर्दोष फिलीस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। इतना ही नहीं वेस्ट बैंक में घोर दक्षिणपंथी फ़ासिस्ट यहूदी समूहों द्वारा इस्राइली सरकार के संरक्षण में फिलीस्तीनियों पर लगातार हमले कर उन्हें उनके घरों से खदेड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि वेस्ट बैंक की कुल आबादी में 20 प्रतिशत फिलीस्तीनी हैं। 

      इस्राइली विस्तारवादी शासकों के संरक्षण में फ़ासिस्ट यहूदीवादी समूहों द्वारा रमजान के महीने में जानबूझकर पूर्वी येरुशलम में फिलीस्तीनी आबादी वाले इलाकों से भड़काऊ जुलूष निकालकर हिंसा का माहौल बनाया गया। इसके बाद मुसलमानों की तीसरी सबसे पवित्र अल अक्सा मस्जिद में फिलीस्तीनियों को नमाज अदा करने से रोका गया और उन पर हमला किया गया। अल अक्सा मस्जिद में की गई इस हिंसा में  इस्राइली पुलिस भी सीधे सीधे शामिल थी। 

         इस उकसावेपूर्ण कार्यवाही की प्रतिक्रिया में जब गाज़ा पट्टी स्थित कट्टरवादी संगठन हमास ने इस्राइल पर दर्जनों रॉकेट दाग दिये तो बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने हमास को नष्ट करने के नाम पर गाज़ा पट्टी की इमारतों, स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी कार्यालयों पर भारी बमबारी करते हुए निर्दोष फिलीस्तीनियों का कत्लेआम शुरु कर दिया, जो कि अभी भी लगातार जारी है। 


      इस्रायली शासको का कहना है कि वे अपना बचाव कर रहे है। लेकिन सोचने वाली बात है कि स्कूल, अस्पतालों व घरों पर वम गिराकर वे किससे अपना बचाव कर रहे है? हमास का बहाना बना कर इस्राइली शासक मासूम बच्चों,  महिलाओं व आम जन का नरसंहार को अंजाम दे रहे है और इसे अपना बचाव बता रहे है? लेकिन जैसा कि होता है कि इस प्रकार के युद्धों की सबसे बड़ी कीमत बच्चों व महिलाओं को चुकानी पड़ती है।

        इस्राइली विस्तारवादी शासकों द्वारा पिछले कई दशकों से फिलीस्तीनी इलाकों का अतिक्रमण कर उन पर कब्जा किया जाता रहा है। अमेरिकी साम्राज्यवाद के संरक्षण में अंतराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन कर और फिलीस्तीनी जनता के प्रतिरोध को निर्ममता से कुचल कर इस्राइली विस्तारवादी शासकों द्वारा फिलीस्तीनियों को उन्हीं के घर से बेदखल किया जाता रहा है। आज फिलीस्तीनियों को महज गाज़ा पट्टी के छोटे और वेस्ट बैंक के कुछ इलाकों में समेट दिया गया है।

      मौजूदा समय में बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार इसी इस्राइली विस्तारवादी अभियान को आगे बढ़ाने के साथ साथ इस्राइल में यहूदीवादी अंधराष्ट्रवादी गुबार पैदा कर अपने राजनीतिक संकट को भी हल करने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि इस्राइल में पिछले दो साल में चार आम चुनाव होने के बावजूद अभी भी राजनीतिक स्थिरता नहीं कायम हो पायी है। ख़ुद बेंजामिन नेतन्याहू भ्रष्टाचार के आरोपों में बुरी तरह घिरे हुए हैं।

        इस दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ जहां हिंसा रोकने की नपुंसक अपीलें कर रहा है वहीं अरब मुल्क एवं रुस व चीन भी औपचारिक विरोध से आगे नहीं जा रहे हैं। अमेरिकी और यूरोपीय साम्राज्यवादी पूरी बेशर्मी के साथ इस्राइल के साथ खड़े हैं तो वहीं तुर्की फिलीस्तीनियों का रहनुमा बनने की कोशिश कर असल में अपना उल्लू सीधा कर रहा है। जबकि भारत सरकार अपनी अमेरिका परस्त विदेश नीति को जारी रखते हुए हमास के रॉकेट हमलों का तो विरोध कर रही है लेकिन निर्दोष फिलीस्तीनियों के कत्लेआम पर चुप्पी साधे हुए है। 

            पिछले कई दशकों से फिलीस्तीनी जनता अपनी राष्ट्रीय मुक्ति के लिए लगातार संघर्षरत है।1980 के दशक में शुरु हुये फिलीस्तीनी आवाम के बगावत की अनुगूंज पूरी दुनिया में सुनाई देती रही है, लेकिन आज के विपरीत वैश्विक हालातों में फिलीस्तीनी मुक्ति संघर्ष न सिर्फ अपनी मंजिल हासिल नहीं कर पा रहा है अपितु हमास जैसे कट्टरवादी संगठनों के प्रभाव में जाकर अंधेरी सुरंग में भी भटक रहा है। ऐसे में इस्राइल, फिलीस्तीन समेत पूरी दुनिया में पूंजीवाद और साम्राज्यवाद के विरुद्ध मज़दूर वर्ग के आंदोलनों की बढ़त ही वास्तव में फिलीस्तीनी मुक्ति संघर्ष को भी सही दिशा प्रदान करेगी। 

                इजराइल द्वारा फिलिस्तीनी कि जनता पर ढाये गये कत्लेआम का दुनिया की मेहनत कश जनता ने विरोध किया जिसके  दबाव में आकर इजरायल को मजबूर होकर पिछे हटना पड़ा।  दुनिया के मजदूर मेहनतकश एक हो यह नारा इस बात को स्थापित करता है। 

                युद्ध विराम कि घोषणा हो चुकी है लेकिन पहले की तरह युद्ध विराम अस्थाई है। फिलिस्तीन में शांति तभी आ  सकती है जब उनकी आजादी की मांग मान ली जाए। जब तक आजादी की मांग नहीं मानी जाती है तब तक फिलिस्तीन की जनता लड़ती रहेगी और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र फिलिस्तीन की जनता के साथ खड़ा रहेगा

              आज जरूरत बनती है कि फिलिस्तीन पर इस्रायल नरसंहार के विरोध के साथ-साथ पूंजीवाद व साम्राज्यवाद का भी पुरजोर विरोध किया जाये । प्रगतिशील महिला एकता केंद्र इस्राइली विस्तारवादी शासकों द्वारा निर्दोष फिलीस्तीनी जनता के कत्लेआम की पुरजोर विरोध करता है और देश की न्यायप्रिय जनता का आहवान करता है कि फिलीस्तीनी जनता के कत्लेआम के विरोध में अपनी आवाज उठाये।  फिलीस्तीनी जनता के राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष के साथ खड़े हों। साथ ही हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि वह इस्राइल के साथ अपने सभी संबंध खत्म करे, फिलीस्तीनी जनता के कत्लेआम की सार्वजनिक  मुखालफ़त करे, अंतराष्ट्रीय मंचों से गाज़ा पट्टी पर किये जा रहे हवाई हमलों को तत्काल रोकने की मांग करे।  


क्रांतिकारी अभिवादन के साथ 

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की विभिन्न ईकाईयों द्वारा फिलिस्तीनी जनता पर किए जा रहे हमले का ऑनलाइन विरोध















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