विश्वव्यापी महामारी के चलते 22 मार्च से लगा राष्ट्रीय लॉकडाउन आज अपने 53वें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान इस देश की मेहनत मजदूरी करने वाली जनता ने जो तबाही और बर्बादी झेली है वह भारत के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा जाएगा। न घर में खाने को दाना, न काम, न जेब में फूटी कौड़ी, कुल मिलाकर अगर कहा जाए तो इस देश की मजदूर आबादी ने जो दिन देखे वह शायद कोरोना से संक्रमित हो जाने से भी बुरा है। कोरोना महामारी की वजह से हुए इस लॉकडाउन की वजह से पैदा इस भुखमरी और तबाही के साथ-साथ जो एक संकट व्यापक रूप से और उभरा वह है घरेलू उत्पीड़न का। ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन से पहले महिलाओं के साथ घरेलू उत्पीड़न नहीं था या कम था किंतु इस लॉकडाउन की वजह से घरेलू उत्पीड़न में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। और यह आंकड़ा सिर्फ एक देश या किसी एक खास वर्ग का नहीं है। पूरे विश्व में लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर होने वाले घरेलू ज्यादितयों में व्यापक वृद्दि हुई है।
महिलाओं के साथ बढ़ रहे इस अत्याचार की तरफ सरकार का ध्यान दिलाने और इसकी रोकथाम की मांग को लेकर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने राष्ट्रीय महिला आयोग को एक ज्ञापन सौंपा। हम यहां आपके साथ इस ज्ञापन का मजमून साझा कर रहे हैंः
सेवा में,
राष्ट्रीय महिला आयोग
दिल्ली
महोदया,
कोरोना महामारी को हर जगह मात्र एक स्वास्थ्य संकट के रूप में देखा जा रहा है लेकिन लाॅकडाउन के दौरान पहले से उत्पीड़ित महिलाओं का उत्पीड़न और बढ़ भी गया है। इस दौरान देशभर में 90 प्रतिशत घरेलू हिंसा बढ़ गई है। साथ ही बाल अपराध व उत्पीड़न भी बढ़ता जा रहा है
लाॅकडाउन के कारण लोगों की आजीविका पर भारी संकट आ गया है। वे अपनी दैनिक जीवन की मामूली लेकिन जरूरी चीजों का भी इंतेजाम कर पाने में भी असमर्थ हो गए हैं। ऐसे में यह लाॅकडाउन उनके लिए आर्थिक और सामाजिक संकट में तब्दील हो गया है। जिस कारण ये परिवार निरंतर मानसिक तनाव में रह रहे हैं। और यह मानसिक तनाव पहले से ही गैरबराबरी की शिकार महिलाओं पर घरेलू हिंसा के रूप में अपना कहर बरपा कर रहा है।
लाॅकडाउन में बंद के चलते महिलाएं अपने ऊपर हो रहे उत्पीड़न की शिकायत तक नहीं कर पा रही हैं। इस समय सभी लोग अपने घरों में बंद हैं जिस कारण आसपास व पड़ोस के लोग भी मदद नहीं कर पा रहे हैं। घरों में रहकर उत्पीड़न की शिकायत करने से महिलाओं की जान का जोखिम और भी बढ़ गया है। उन्हें सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों से भी मदद नहीं मिल पा रही है।
लाॅकडाउन के दौरान अलग-अलग जगह पर पुलिस द्वारा की गई बर्बरता की तस्वीरें सामने आई हं।ै जिस वजह से महिलाएं पुलिस से मदद मांगने से डर रही हैं। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को समय से ना तो इलाज मिल रहा है और ना ही उनकी सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र महिलाओं के साथ बढ़ती घरेलू हिंसा का विरोध करते हुए मांग करता है कि-
1- घरेलू हिंसा पर रोक लगाई जाए।
2- घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए जाए।
3- महिलाओं के लिए होम सेंटर की व्यवस्था की जाए।
4- हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाए था वह उन्हें चालू रखा जाए।
5- आर्थिक संकट का सामना कर रहे परिवारों को आर्थिक मदद दी जाए।
रजनी जोशी
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र
मो0- 9758210962
प्रेषित-
-माननीय राष्ट्रपति महोदय, भारत सरकार
-माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार
-राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, दिल्ली
महिलाओं के साथ बढ़ रहे इस अत्याचार की तरफ सरकार का ध्यान दिलाने और इसकी रोकथाम की मांग को लेकर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने राष्ट्रीय महिला आयोग को एक ज्ञापन सौंपा। हम यहां आपके साथ इस ज्ञापन का मजमून साझा कर रहे हैंः
दिनांक-13/05/2020
ज्ञापन
सेवा में,
राष्ट्रीय महिला आयोग
दिल्ली
विषय - लाॅक डाउन के दौरान बढ़ती घरेलू हिंसा की रोकथाम के संबंध में।
महोदया,
कोरोना महामारी को हर जगह मात्र एक स्वास्थ्य संकट के रूप में देखा जा रहा है लेकिन लाॅकडाउन के दौरान पहले से उत्पीड़ित महिलाओं का उत्पीड़न और बढ़ भी गया है। इस दौरान देशभर में 90 प्रतिशत घरेलू हिंसा बढ़ गई है। साथ ही बाल अपराध व उत्पीड़न भी बढ़ता जा रहा है
लाॅकडाउन के कारण लोगों की आजीविका पर भारी संकट आ गया है। वे अपनी दैनिक जीवन की मामूली लेकिन जरूरी चीजों का भी इंतेजाम कर पाने में भी असमर्थ हो गए हैं। ऐसे में यह लाॅकडाउन उनके लिए आर्थिक और सामाजिक संकट में तब्दील हो गया है। जिस कारण ये परिवार निरंतर मानसिक तनाव में रह रहे हैं। और यह मानसिक तनाव पहले से ही गैरबराबरी की शिकार महिलाओं पर घरेलू हिंसा के रूप में अपना कहर बरपा कर रहा है।
लाॅकडाउन में बंद के चलते महिलाएं अपने ऊपर हो रहे उत्पीड़न की शिकायत तक नहीं कर पा रही हैं। इस समय सभी लोग अपने घरों में बंद हैं जिस कारण आसपास व पड़ोस के लोग भी मदद नहीं कर पा रहे हैं। घरों में रहकर उत्पीड़न की शिकायत करने से महिलाओं की जान का जोखिम और भी बढ़ गया है। उन्हें सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों से भी मदद नहीं मिल पा रही है।
लाॅकडाउन के दौरान अलग-अलग जगह पर पुलिस द्वारा की गई बर्बरता की तस्वीरें सामने आई हं।ै जिस वजह से महिलाएं पुलिस से मदद मांगने से डर रही हैं। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को समय से ना तो इलाज मिल रहा है और ना ही उनकी सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र महिलाओं के साथ बढ़ती घरेलू हिंसा का विरोध करते हुए मांग करता है कि-
1- घरेलू हिंसा पर रोक लगाई जाए।
2- घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए जाए।
3- महिलाओं के लिए होम सेंटर की व्यवस्था की जाए।
4- हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाए था वह उन्हें चालू रखा जाए।
5- आर्थिक संकट का सामना कर रहे परिवारों को आर्थिक मदद दी जाए।
रजनी जोशी
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र
मो0- 9758210962
प्रेषित-
-माननीय राष्ट्रपति महोदय, भारत सरकार
-माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार
-राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, दिल्ली
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