23 मई 2020 की शाम छह बजे दिल्ली पुलिस ने दो महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं देवांगना और नताशा को जाफराबाद थाने में दर्ज एक दंगे भड़काने की एफआईआर पर गिरफ्तार कर लिया। पिंजरातोड़ नामक महिला से समूह से जुड़ी यह दोनों ही सामाजिक कार्यकर्ताएं लंबे समय से दिल्ली के स्तर पर महिलाओं और मजदूरों के मुद्दों पर सक्रिय रही हैं। बल्कि इन दोनों पर यह एफआईआर ही इसलिए दर्ज की गई क्योंकि यह सीएए तथा एनआरसी विरोधी आंदोलन में दिल्ली के स्तर पर सक्रिय थीं। 23 मई की शाम दोपहर तीन बजे इन दोनों से क्राइम ब्रांच द्वारा पूछ-ताछ की गई जो लगभग तीन घंटे चली। इसके तुरंत बाद जाफराबाद पुलिस थाने से पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। परिवारजनों द्वारा गिरफ्तारी की वजह पूछे जाने पर पुलिस ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया।
आज जहां एक तरफ तमाम राज्यों की सरकारों समेत केंद्र सरकार देश में कोरोना के नाम पर लोगों को घरों में बंद रहने और सामाजिक दूरी बनाए रखने का उपदेश दे रही है, वहीं दूसरी तरफ वह देश की उत्पीड़ित आबादी की आवाज उठाने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं को एक-एक कर गिरफ्तार कर जेलों में डाल रही है। इस महीने की शुरुआत में हुई सफूरा जरगर की गिरफ्तारी भी इसी का उदाहरण है। गौरतलब है कि जिस एफआईआर के तहत दिल्ली पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया है उस एफआईआर पर इन दोनों को पहले ही उच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी थी। न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद पुलिस द्वारा की गई यह गिरफ्तारी यह साफ दिखाती है कि किस तरह लॉकडाउन का फायदा उठाकर सरकार उन सभी को जेलों में बंद कर रही है जो आम जनता के हकों और अधिकारों की बात कर रहे हैं।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र इस तरह इस तरह से लगातार महिलाओं समेत सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं के इस गैर-संवैधानिक गिरफ्तारियों तथा उनके उत्पीड़न का विरोध करता है और मांग करता है कि देवांगना और नताशा समेत सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय समिति द्वारा जारी
23.05.2020
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