कोरोना महामारी के कारण 22 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। इस महामारी ने देश के तमाम मेहनत मजदूर आबादी पर रोजगार और आय का एक भीषण संकट खड़ा कर दिया है। लॉकडाउन की वजह से विकट आर्थिक संकट में फंसने वाले तमाम पेशों में एक बड़ा हिस्सा दूसरों के घरों में घरेलू कामगार के रूप में काम करने वाली महिलाओं का है। मार्च अंत से शुरु इस लॉकडाउन की वजह से इन महिलाओं की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है।
दिल्ली की मज़दूर बस्ती शाहबाद डेयरी में घरेलू कामगार महिलाओं से मिलने पर पता चला कि उनको अप्रैल महीने की तनख्वाह नहीं दी गई है। कुछ घरों ने अपनी कामवालियों को मार्च महीने की तनख्वाह भी काट कर दी है। और अब हालात ये है कि मालिकों ने घरेलू कामवालियों के फोन तक उठाने बन्द कर दिए है। इनकी स्थिति पहले से ही बहुत खराब थी। लॉकडाउन के चलते और बुरी हो गई है।
इन समस्याओं को देखते हुए बस्ती की सैकड़ों घरेलू कामगारों ने 24 अप्रैल को घरेलू कामगार महिला संगठन का गठन किया। जिसके तहत 25 अप्रैल को स्थानीय विधायक से मुलाकात कर उन तक अपनी समस्याएं पहुंचाई गई। विधायक के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी घरेलू कामगारों की समस्याओं से अवगत कराने तथा लॉक डाउन में उनके लिए कुछ राहत योजना शुरू करने के संबंध में ज्ञापन भेजा गया। परन्तु अब तक इस दिशा में सरकार द्वारा कोई काम नहीं किया गया है।
इसके खिलाफ बस्ती की महिलाओ ने अपनी मांगो को उठाने के लिए 16 मई को अपने घरों के बाहर खड़े होकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। प्रदर्शन में दर्जनों कामगारों ने भागीदारी की।
घरेलू कामगारों के साथ शासन - प्रशासन का ये रवैया नया नहीं है। पहले भी इनकी स्तिथि बुरी ही थी अब और अधिक बुरी हो रही है। ऐसे में यदि सरकार इनकी समस्याओं पर जल्द ही कोई कार्यवाही नहीं करती तो कामगार अपने आंदोलन को और आगे बढ़ाने पर मजबूर हो जाएंगी, जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सरकार की होगी।
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