June 16, 2014

अपने संघर्षो को पूंजीवादी-सामंतवादी गठजोड़ के खिलाफ लक्षित करो!

उत्तर प्रदेश में लगातार महिलाओं के खिलाफ हिंसा व यौन अपराध की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। एक घटना भूलती नहीं कि दूसरी घटना घट जाती है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ने वाली हिंसा व यौन अपराध की बेतहाशा बढ़ती घटनाओं ने उत्तर प्रदेश के नेता जी मुलायम सिंह यादव का बयान  "लड़के हैं लड़कों से गलतियां हो जाती हैं" तथा "यदि हम सत्ता में आये तो बलात्कारियों की सजा कम करेंगे" की घोषणा अपना रंग दिखने लगी है। ऐसा नहीं की अन्य हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा नहीं हो रही है बल्कि पूरे देश व समाज में ही महिलाओं के खिलाफ हिंसा व यौन अपराध की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
      विगत 28 मई को यूपी के बदायूं जिले में दो नाबालिग बहनों की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गयी। मानवता को प्यार करने वाला शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जिसका अखबारों में पेड़ से लटकती लाशों की तस्वीरों को देखकर दिल ना दहला हो।

      जनदवाब के चलते यूपी सरकार ने आरोपियों को गिरफतार व तीन पुलिस कर्मियों को निलंबित कर रस्म अदायगी कर दी है। 16 दिसम्बर रेपकाण्ड के बाद भी आरोपियों को गिरफतार कर लिया गया था और महिला हिंसा को रोकने के लिए कड़े कानून भी बनाए गए थे। परन्तु सच्चाई ठीक इसके उल्टी है। महिला हिंसा से जुड़े मामले घटने के बजाए लगातार बढ़ रहे हैं।

     हरियाणा की चार दलित लड़कियों के साथ बलात्कार के विरोध में लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए उनके परिजन 16 अप्रैल से धरने पर बैठे हैं।  उनको न्याय का दिलासा भी  राज्य सरकार ने नहीं दिया था कि  तब तक और दो अन्य दलित लडकियों के साथ बलात्कार कर हत्या की घटना ने देश में महिलाओं की  स्थिति के सम्बन्ध में सवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल बात यह है कि आजाद भारत में भी गरीब, दलित, शोषितों व महिलाओं की सामाजिक व आर्थिक स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है. समाज में महिलाओं को पुरुष की संपत्ति समझे जाने का ही परिणाम है कि अक्सर ही एक दूसरों को नीचा दिखने व बदला लेने के लिए महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाता है. ये जातिगत दंगे हों या सांप्रदायिक दंगे हों या युद्ध ही क्यों न हो इन सब में महिलाएं और बच्चे आसान शिकार होते हैं।

June 3, 2014

घृणास्पद पूंजीवादी-सामंतवादी गठजोड़ को ख़त्म करने के लिए प्रगतिशील क्रन्तिकारी संघर्षों को विकसित करो!

हरियाण के हिसार जिले के भगाना गांव में चार नाबालिग दलित लडकियों का बलात्कार की घटना ने एक बार फिर देश में दलितों व उनकी महिलाओं के स्थिति के सम्बन्ध में सवाल खड़ा कर दिया है. दलित जाती की महिलाओं के साथ होने वाली ये कोई अकेली या अनोखी घटना नहीं है. लेकिन यह तथा इस तरह की घटनाएँ ये बताती हैं कि आजादी के 65 से भी ज्यादा वक़्त बीत जाने के बाद भी बहुलांश दलित आबादी की सामाजिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. समाज में महिलाओं को पुरुष की संपत्ति समझे जाने का ही परिणाम है कि अक्सर ही एक दूसरों को नीचा दिखने व बदला लेने के लिए महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाता है. ये जातिगत दंगे (खैरलांजी, मिर्चपुर और अब भागना), सांप्रदायिक दंगे (भारत विभाजन, गुजरात, मुजफ्फरपुर) हों या युद्ध इन सब में महिलाएं और बच्चे आसान शिकार होते हैं और दूसरों को नीचे दिखने का कारगर हथियार। हमारा मानना है की जब तक महिलाओं को पुरुषों की संपत्ति, घर की इज्जत के साथ जोड़कर देखा जाता रहेगा, पूंजीवादी-सामंतवादी गठजोड़ कायम रहेगा तब तक महिलाओं की स्थिति में कोई सकारात्मक परिवर्तन नहीं हो सकता। इसके लिए जरुरी है कि इस घृणास्पद पूंजीवादी-सामंतवादी गठजोड़ को ख़त्म  करने के लिए प्रगतिशील क्रन्तिकारी संघर्षों को विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ें।  

January 24, 2014

पाश्विकता की सीमा

 पश्चिम बंगाल के सिंहभूम जिले में 20वर्षीय लड़की को प्रेम प्रसंग होने की वजह से दंडित करते हुए वहां कि खाप पंचायत के 12 सदस्यों ने उस लड़की के साथ बलात्कार किया। बर्बरता और पाश्विकता की सभी हदें तोड़ता  खाप पंचायतों का यह कृत्य इस बात को परिलक्षित करता है कि कैसे महिला सशक्तीकरण के तमाम दावें करती यह व्यवस्था आज भी खाप पंचायतों को पनपने दे रही है और महिलाओं को इसका शिकार बनने पर मजबूर कर रही है। बालिग होने और प्रेम कर सकने के जनवादी अधिकार की बात तो बहुत दूर की है महिलाओं के साथ मानवीय व्यवहार की उम्मीद भी इस घटना के बाद खत्म हो जाती है।
मुनाफे पर टिके इस समाज में भले ही राज व्यवयस्था ने मुनाफे की बढ़ोत्तरी के लिए महिलाओं को घरों से निकाल दिया है लेकिन मूल्यों के स्तर पर आज भी यह व्यवस्था महिलाओं के लिए वही सड़ी-गली मान्यताओं को बनाकर रखे हुए है। खाप पंचायतों का इस तरह से खुले-आम हत्याएं करने और महिलाओं के जनवादी अधिकारों का हनन करने के बावजूद बने रहना यह साफ दिखाता है कि यह व्यवस्था उनको पनपने का मौका दे रही है।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र इस घटना की भर्तस्ना करता है और सभी महिलाओं का आह्ववान करता है कि वह आगे आकर एकजुट हों और महिलाओं के साथ हो रहे इस अत्याचार और शोषण के विरुद्ध संघर्ष की धार को तेज करें।

इंकलाब जिंदाबाद!

January 20, 2014

"आप" पार्टी के मंत्री की खुली गुंडागर्दी

खुद को आम आदमी की सरकार बताती केजरीवाल एंड कंपनी भले ही अभी तक जनता को किए गए वादों को पूरा करना तो दूर अपनी तथाकथित जनता दरबार से निकल भागने और डींगे हांकने के अलावा कुछ और न कर पाई हो लेकिंन उनके मंत्रियों ने अपना शक्ति प्रदर्शन शुरु कर दिया है।
नैतिकता के ठेकेदार बने आप पार्टी के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने पिछले दिनों आधी रात को कुछ अफ्रीकी महिलाओं पर वेश्यावृत्ति और नशाखोरी का आरोप लगाते हुए सादी वर्दी में आई पुलिस द्वारा महिलाओं की पिटाई करवाई और डाक्टरी जांच के लिए सार्वजनिक तौर पर पेशाब करने को मजबूर किया। सोमनाथ भारती ने उन महिलाओं पर नस्लीय टिप्पणियां भी कीं। यही नहीं एम्स में इन महिलाओं की जांच के दौरान सोमनाथ भारती खुद वहां पर मौजूद रहे।
दिल्ली सचिवालय के बाहर इस भीषण ठंड में बैठे गेस्ट शिक्षकों की शिकायतों को सुनने का आप पार्टी की सरकार के पास भले ही समय न हो किंतु उनके मंत्रियों के पास इस तरह की नीचतापूर्ण और घृणित कार्य करने के लिए पूरा समय भी और अवसर भी है। अपने खोखले वादों और डींगों के दम पर गठित इस सरकार की पोल अब धीरे-धीरे जनता के सामने खुल रही है। खुद को सबसे ईमानदार राजनीतिज्ञ घोषित करने वाले ये जनता के ठेकेदार अपने इन घृणित कृत्यों से खुद ही जनता के सामने बेनकाब हो रहे हैं।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र मांग करता है कि सोमनाथ भारती तत्काल मंत्री पद से हटाया जाए और इन महिलाओं के साथ की गई बदसलूकी और उत्पीड़न के लिए उन्हें दंडित किया जाए।
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