January 24, 2014

पाश्विकता की सीमा

 पश्चिम बंगाल के सिंहभूम जिले में 20वर्षीय लड़की को प्रेम प्रसंग होने की वजह से दंडित करते हुए वहां कि खाप पंचायत के 12 सदस्यों ने उस लड़की के साथ बलात्कार किया। बर्बरता और पाश्विकता की सभी हदें तोड़ता  खाप पंचायतों का यह कृत्य इस बात को परिलक्षित करता है कि कैसे महिला सशक्तीकरण के तमाम दावें करती यह व्यवस्था आज भी खाप पंचायतों को पनपने दे रही है और महिलाओं को इसका शिकार बनने पर मजबूर कर रही है। बालिग होने और प्रेम कर सकने के जनवादी अधिकार की बात तो बहुत दूर की है महिलाओं के साथ मानवीय व्यवहार की उम्मीद भी इस घटना के बाद खत्म हो जाती है।
मुनाफे पर टिके इस समाज में भले ही राज व्यवयस्था ने मुनाफे की बढ़ोत्तरी के लिए महिलाओं को घरों से निकाल दिया है लेकिन मूल्यों के स्तर पर आज भी यह व्यवस्था महिलाओं के लिए वही सड़ी-गली मान्यताओं को बनाकर रखे हुए है। खाप पंचायतों का इस तरह से खुले-आम हत्याएं करने और महिलाओं के जनवादी अधिकारों का हनन करने के बावजूद बने रहना यह साफ दिखाता है कि यह व्यवस्था उनको पनपने का मौका दे रही है।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र इस घटना की भर्तस्ना करता है और सभी महिलाओं का आह्ववान करता है कि वह आगे आकर एकजुट हों और महिलाओं के साथ हो रहे इस अत्याचार और शोषण के विरुद्ध संघर्ष की धार को तेज करें।

इंकलाब जिंदाबाद!

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