प्रगतिशील महिला एकता केंद्र हिंदुत्व फासीवादी ताकतों द्वारा गौरी लंकेश की हत्या का पुरजोर विरोध करता है
अपने निर्भीक, बेबाक तथा
धर्म निरपेक्ष पत्रकारिता के लिए जाने जानी वाली वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की 5
सितंबर की शाम हिंदुत्व फासीवादियों ने बंगलुरु में उनके घर पर गोली मार कर हत्या
कर दी। गोविंद पांसारे, नरेंद्र दाभोलकर तथा प्रोफेसर एम.एम.कलबुर्गी की तरह ही
गौरी लंकेश भी समाज में तार्किकता तथा इंसाफ के लिए आवाज उठाती रही थीं। गौरी
लंकेश को पहले भी कई बार धमकियां मिल चुकी थीं इसके बावजूद उन्होंने लेखन के जरिए
मौजूदा केंद्र सरकार की सरपरस्ती में चल रहे हिंदुत्व फासिवादियों द्वारा देश में
चलाए जा रहे सांप्रदायिक फासीवाद के खिलाफ आवाज उठाना निरंतर जारी रखा और इसी की
कीमत चुकाई उन्होंने 5 सितंबर की शाम को गोली खाकर।
दाभोलकर, पांसारे, कलबुर्गी
या फिर गौरी लंकेश की हत्या मात्र व्यक्तियों की हत्या नहीं है। यह फासीवादी
ताकतों द्वारा एक लोकतांत्रिक समाज में अभिव्यक्ति की आजादी की हत्या है। गौरी
लंकेश की हत्या इस बात का सूचक है कि मौजूदा शासनतंत्र अपने ही बनाए जनवाद को बनाए
रख पाने में अक्षम है। आज देश में शासक वर्ग के विरोध में उठी हर आवाज को
देशद्रोही करार कर उसे हर कीमत पर दबाया जा रहा है। जनता के अपने न्यायोचित
अधिकारों के लिए हो रहे आंदोलन भारी राज्य दमन का शिकार हो रहे हैं। देश की हर
मेहनतकश आबादी आज जीने के मूल अधिकारों से वंचित हो रही है और उसके समर्थन में उठ
रही आवाजों का वही हश्र हो रहा है जो गौरी लंकेश का हुआ।
प्रगतिशील महिला एकता
केंद्र हिंदुत्व फासीवादियों द्वारा की गई गौरी लंकेश की हत्या की कठोर निंदा करता
है तथा संकल्प लेता है कि वह हिंदुत्व फासीवादियों द्वारा देश में फैलाए जा रहे
आतंक तथा मौजूदा उत्पीड़नकारी व्यवस्था के विरुद्ध आम मेहनतकश तबके के संघर्षों को
आगे बढ़ाता रहेगा।
बोल कि लब आज़ाद
हैं तेरे
बोल ज़बाँ अब तक
तेरी है
तेरा सुतवाँ
जिस्म है तेरा
बोल कि जाँ अब
तक् तेरी है…
फैज़
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