24 जनवरी को नरेंद्र मोदी द्वारा साम्राज्यवादी
देशों के सरगना अमरीका के खुनी राष्ट्रपति बराक ओबामा को 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के
मौके पर गणतंत दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनाये जाने के विरोध में क्रान्तिकारी जनवादी
संगठनो तथा शांतिप्रिय जनता ने पूरे देश में
प्रदर्शन किये। इसी कड़ी में दिल्ली के विभिन्न
संगठनो ने जंतर - मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।
इस विरोध प्रदर्शन को इमके, इफ्टू, ए.आई.एस.टी.यू.
(न्यू), आई.सी.टी.यू., मजदूर एकता केन्द्र, पछास, प्रगतिशील महिला
एकता केन्द्र,
डी.एम.यू.,
पी.टी.एफ.आई.,
सी.पी.आई.एम.एल. (रेड स्टार), क्रांतिकारी नौजवान सभा आदि संगठनों व मोर्चा मजदूर पत्रिका, संहति व देश विदेश
जैसी पत्रिकाओं ने आयोजित किया था।
प्रदर्शन में वक्ताओं ने जंगबाज साम्राज्यवादी देश अमरीका के सामने भारत की संप्रभुता
को बिछाने का विरोध किया। वक्ताओं ने कहा की देश को इतना लज्जित किसी ने नहीं किया, जितना मोदी सरकार
ने किया है। देश में चप्पे -चप्पे को अमरीकी
एजेंसियों के हवाले कर दिया गया है।
बराक ओबामा को भारत के गणतंत्र दिवस
पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाना साम्राज्यवादियों से देश की मुक्ति के लिए संघर्ष में मारे गए शहीदों
का अपमान है। उन्होंने मज़दूर विरोशी नीतियों
को आगे बढ़ाते हुए मज़दूरों के शोषण को चरम पर पहुँचाने और देश को सांप्रदायिक शक्तियों
के हाथों में पहुंचते हुए सांप्रदायिक दंगों के बढ़ जाने को चिन्हित करते हुए देशी -
विदेशी पूँजी के गठजोड़ का विरोध किया।
इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा बिरादर
संगठनों-परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास), क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस), प्रगतिशील महिला
एकता केन्द्र (प्र म ए के) के साथ मिलकर संयुक्त तौर पर ‘‘दुनिया के सबसे
बड़ी हत्यारी हुकूमत के मुखिया ओबामा को गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि बनाये जाने का
विरोध करो’’ शीर्षक
से पर्चा व पोस्टर हजारों की संख्या में प्रकाशित किये गये। पोस्टर में अमेरिकी साम्राज्यवाद
को युद्ध व मौत का प्रतीक दर्शाया गया। विभिन्न शहरों, औद्योगिक केन्द्रों
व मजदूर बस्तियों में ये पोस्टर चस्पा किये गये व पर्चा वितरित किया गया।
दिल्ली की एक मजदूर बस्ती शाहबाद
डेयरी में भी 26 जनवरी
को एक सभा आयोजित की गयी जिसमें संघी सरकार की अमेरिका परस्ती का भंडाफोड़ करते हुए
देशी-विदेशी पूंजी के गठजोड़ के खिलाफ संघर्ष को मजदूर वर्ग का अहम कार्यभार बताया
गया।
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