November 17, 2014

आंदोलनकारियों व सामाजिक कार्यकताओं पर फर्जी मुकदमों के विरोध में कोटद्वार तहसील में 3 दिवसीय धरना

  1.  कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल में धामदर आंदोलन में ग्रामीणों के खिलाफ लगे मुकदमों को वापस लेने के लिए आंदोलनकारियोंओ सामाजिक कार्यकताओं के द्वारा आंदोलन चलाया गया।  जिसमें ग्रामीणों पर लगे मुकदमों को प्रशासन द्वारा जनदवाब में वापस ले लिया लेकिन  प्रशासन  ने आंदोलनकारियों व  सामाजिक कार्यकताओं पर फर्जी मुक़दमे लगा  दिए।  जिसके विरोध में  प्रगतिशील महिला एकता केंद्र,  परिवर्तनकामी छात्र संगठन के  कार्यकर्ताओं  व जन अधिकार संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा कोटद्वार तहसील में  3  दिवसीय धरना दिया गया, जिसमें  अन्य जनवादी लोगों ने भी  भागीदारी की।  संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा सभा को सम्बोधित किया गया।  जिसमें लोगों ने प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई को गलत व लोकतंत्र द्वारा प्राप्त जनवादी अधिकारों के खिलाफ बताया गया।  इसके अलावा कोटद्वार की बार कौंसिल ने  भी धरने का समर्थन किया।   

साम्प्रदायिकता के खिलाफ कौमी एकता रैली

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा परिवर्तनकामी छात्र संगठन व इंकलाबी मज़दूर केंद्र के साथ मिलकर दिल्ली की मज़दूर बस्ती शाहबाद डेरी में साम्प्रदायिकता  के खिलाफ कौमी एकता रैली निकली गई। रैली में  " साम्प्रदायिकता के खिलाफ एक हो"  पर्चा भी बांटा गया।  बस्ती  के अमन पसंद लोगों ने भी रैली में भागीदारी की।  कौमी एकता रैली की तस्वीरें ये है - साम्प्रदायिकता के खिलाफ अभियान का हिस्सा बनें। 





August 6, 2014

प्रथम विश्व युद्ध की सौवीं बरसी पर

प्रथम विश्व युद्ध की सौवीं बरसी पर प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र द्वारा अन्य संगठनों के साथ मिल कर दिल्ली व उत्तराखण्ड में संयुक्त कार्यक्रम किये गये। जिसमें वक्ताओं ने प्रथम विश्व युद्ध के कारणों, भयावयता, युद्ध के कारण हुई मानवीय क्षति आदि विषयों पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि युद्ध किस तरह मजदूर मेहनतकश वर्ग के लोगों को तबाह और बर्बाद करते हैं। वक्ताओं ने यह भी बताया कि अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने प्रथम विश्व युद्ध के समय विनाशक हथियारों का व्यापार कर इस घृणित युद्ध को और बढ़ा दिया। अमेरिका ने ही प्रथम विश्व युद्ध के समय जापान के हीरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराये थे उन्होंने यह भी बताया कि वही अमेरिका अब भी सबसे बड़े पैमाने पर हथियारों का व्यापार करता है और विश्व शांति का बहाना बनाकर दूसरे देशों पर युद्ध थोपता है।

वक्ताओं ने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध के समय रूस के मजदूर वर्ग ने लेनिन के नेतृत्व में माक्र्सवादी विचारधारा को अपनाते हुए रूस में क्रांति कर दी और वहां मजदूर वर्ग सत्ता पर काबिज हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध ने पूर्वी यूरोप के कई देशों समेत वियतनाम, कोरिया व चीन में समाजवाद कायम किया। अब यदि साम्राज्यवादी कभी बड़े पैमाने का आपसी युद्ध या तीसरा विश्व युद्ध शुरु करते हैं तो उसका केवल एक परिणाम निकलेगा- वैश्विक क्रांति और सारी दुनिया से पूंजीवाद, साम्राज्यवाद का सफाया। नया विश्व युद्ध पूंजीवाद-साम्राज्यवाद की कब्र साबित होगा।

साम्राज्यवादियों का घृणित पेशा है युद्ध

प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के अब पूरे सौ वर्ष बीत चुके हैं। यह युद्ध दुनिया के एक बड़े हिस्से में लड़ा गया और दुनिया की सारी बड़ी शक्तियों ने इसमें भाग लिया। यह युद्ध अपनी नृशंसता और तबाही में अप्रतिम था। ऐसा दुनिया ने अभी तक नहीं देखा था। इसमें नये-नये हथियार और यंत्र इस्तेमाल किये गये। टैंक, हवाई जहाज, रासायनिक गैस इत्यादि इसमें आते हैं। बहुत बड़े पैमाने के विध्वंस के साथ इसमें मानव क्षति भी पहले के मुकाबले अकल्पनीय थी। इसमें करीब एक करोड़ लोग मारे गये और पांच करोड़ लोग घायल हुए। यह यु़द्ध हर मायने में इतना नया और विध्वंसक था कि लोगों को इसे सही मायने में समझ पाने में ही सालों लग गये। पांच साल की भयंकर तबाही के बाद जब युद्ध समाप्त हुआ और इसी बीच रूस के मजदूर वर्ग ने लेनिन के नेतृत्व में माक्र्सवादी विचारधारा को अपनाते हुए रूस में क्रांति कर दी और वहां मजदूर वर्ग सत्ता पर काबिज हो गया।

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर एक नयी ताकत दुनिया के दृश्य पटल पर आई। यह थी समाजवादी खेमे की मौजूदगी। यदि प्रथम विश्व युद्ध ने रूस में क्रांति को जन्म दिया था तो द्वितीय विश्व युद्ध ने पूर्वी यूरोप के कई देशों समेत वियतनाम, कोरिया व चीन में समाजवाद कायम किया। इस समाजवादी खेमे और अन्य देशों में कम्युनिस्ट पार्टियों ने इतनी ताकत हासिल की कि 1950 के दशक में वास्तव में पूंजीवादी-साम्राज्यवादी अपनी व्यवस्था के खात्मे को लेकर भयभीत हो गये।

इतिहास हमें यह बताता है कि यदि साम्राज्यवादी कभी बड़े पैमाने का आपसी युद्ध या तीसरा विश्व युद्ध शुरु करते हैं तो उसका केवल एक परिणाम निकलेगा- वैश्विक क्रांति और सारी दुनिया से पूंजीवाद, साम्राज्यवाद का सफाया। इसलिए किसी नये विश्व युद्ध का हर स्तर पर तत्परता से विरोध करते हुए भी मजदूर वर्ग को इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं है। यह पूंजीवाद-साम्राज्यवाद की कब्र साबित होगा।
Template developed by Confluent Forms LLC; more resources at BlogXpertise