प्रथम विश्व युद्ध की सौवीं बरसी पर प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र द्वारा अन्य संगठनों के साथ मिल कर दिल्ली व उत्तराखण्ड में संयुक्त कार्यक्रम किये गये। जिसमें वक्ताओं ने प्रथम विश्व युद्ध के कारणों, भयावयता, युद्ध के कारण हुई मानवीय क्षति आदि विषयों पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि युद्ध किस तरह मजदूर मेहनतकश वर्ग के लोगों को तबाह और बर्बाद करते हैं। वक्ताओं ने यह भी बताया कि अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने प्रथम विश्व युद्ध के समय विनाशक हथियारों का व्यापार कर इस घृणित युद्ध को और बढ़ा दिया। अमेरिका ने ही प्रथम विश्व युद्ध के समय जापान के हीरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराये थे उन्होंने यह भी बताया कि वही अमेरिका अब भी सबसे बड़े पैमाने पर हथियारों का व्यापार करता है और विश्व शांति का बहाना बनाकर दूसरे देशों पर युद्ध थोपता है।
वक्ताओं ने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध के समय रूस के मजदूर वर्ग ने लेनिन के नेतृत्व में माक्र्सवादी विचारधारा को अपनाते हुए रूस में क्रांति कर दी और वहां मजदूर वर्ग सत्ता पर काबिज हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध ने पूर्वी यूरोप के कई देशों समेत वियतनाम, कोरिया व चीन में समाजवाद कायम किया। अब यदि साम्राज्यवादी कभी बड़े पैमाने का आपसी युद्ध या तीसरा विश्व युद्ध शुरु करते हैं तो उसका केवल एक परिणाम निकलेगा- वैश्विक क्रांति और सारी दुनिया से पूंजीवाद, साम्राज्यवाद का सफाया। नया विश्व युद्ध पूंजीवाद-साम्राज्यवाद की कब्र साबित होगा।
वक्ताओं ने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध के समय रूस के मजदूर वर्ग ने लेनिन के नेतृत्व में माक्र्सवादी विचारधारा को अपनाते हुए रूस में क्रांति कर दी और वहां मजदूर वर्ग सत्ता पर काबिज हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध ने पूर्वी यूरोप के कई देशों समेत वियतनाम, कोरिया व चीन में समाजवाद कायम किया। अब यदि साम्राज्यवादी कभी बड़े पैमाने का आपसी युद्ध या तीसरा विश्व युद्ध शुरु करते हैं तो उसका केवल एक परिणाम निकलेगा- वैश्विक क्रांति और सारी दुनिया से पूंजीवाद, साम्राज्यवाद का सफाया। नया विश्व युद्ध पूंजीवाद-साम्राज्यवाद की कब्र साबित होगा।
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