भोपाल गैस त्रासदी को आज 30 साल हो गए। लेकिन भोपाल के लोगों की न्याय के लिए जिद आज भी जारी है। 20,000 से ज्यादा लोगों के हत्यारे यूनियन कार्बाइड के मालिकों और अधिकारियों को इस मामले में केवल 2 वर्ष की सजा सुनाई जबकि उनमें से किसी को भी आज तक एक भी दिन जेल में नहीं रहना पड़ा। और आज BJP के दिग्गज नेता और बड़बोले प्रधान मंत्री विदेशों में घूम-घूम कर दुनिया को न्यौता दे रहे हैं की हमारे यहाँ आओ, कंपनी खोलो और मुनाफा लूटो इतना सस्ता और अधिक मज़दूर आपको केवल भारत और केवल भारत में ही मिल सकते हैं। यूनियन कार्बाइड भी एक विदेशी अमेरिकन कंपनी थी। जिसे DOW CHAMICAL ने खरीद लिया था। और दोनों कंपनियां अब उस दुर्घटना की हर जिम्मेदारी से बचना चाहती हैं।
दूसरी तरफ फैक्ट्रियों-खदानों-कारखानों में काम करने वाले मज़दूर और जनवादी और प्रगतिशील जनता हैं जो अपने हकों के लिए लड़ती हैं भारत सरकार उन्हें देश में निवेश और शांति व्यवस्था के नाम पर जेलों में ठूंस देती है। मारूति के कबाड़ में लगी आग में दम घुटने की वजह से एक HR मैनेजर की मौत की पुष्टि मैनेजर की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में हो चुकी है। उसके बावजूद मारुती के 147 मज़दूर हैं जो बिना किसी कसूर के 2 साल से जेल में बंद हैं। जिनको एक दिन की भी बेल नहीं दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट कहता है कि उनको छोड़ने से विदेशी निवेश प्रभावित होगा।
दूसरी तरफ फैक्ट्रियों-खदानों-कारखानों में काम करने वाले मज़दूर और जनवादी और प्रगतिशील जनता हैं जो अपने हकों के लिए लड़ती हैं भारत सरकार उन्हें देश में निवेश और शांति व्यवस्था के नाम पर जेलों में ठूंस देती है। मारूति के कबाड़ में लगी आग में दम घुटने की वजह से एक HR मैनेजर की मौत की पुष्टि मैनेजर की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में हो चुकी है। उसके बावजूद मारुती के 147 मज़दूर हैं जो बिना किसी कसूर के 2 साल से जेल में बंद हैं। जिनको एक दिन की भी बेल नहीं दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट कहता है कि उनको छोड़ने से विदेशी निवेश प्रभावित होगा।
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