18 जुलाई 2012 को हुई घटना के 1 वर्ष पूरे होने पर मारुति सुजुकी मजदूरों ने 18 जुलाई से मानेसर (गुड़गांव) के ताऊ देवीलाल पार्क में धरने का कार्यक्रम तय किया था जिसे पूंजीपतियों की सरकार ने पूर्वनिर्धारित रूप में पूरा नहीं होने दिया। इससे पहले भी 18-19 मई को भारतीय पूंजीपतियों की सरकार ने कैथल में शान्तिपूर्ण धरने पर बैठे मारुति सुजुकी के मजदूरों को 18 मई की आधी रात को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद अगले दिन हरियाणा के ग्रामीणों द्वारा मारुति सुजुकी मजदूरों के समर्थन में आयोजित प्रदर्शन पर बर्बर लाठी चार्ज किया। इस प्रदर्शन में शामिल लोगों को आंसू गैस के गोलों तथा पानी की बौछारों का भी सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारी ग्रामीण महिलाओं को बुरी तरह पीटा गया और उन्हें घसीट कर थाने ले जाया गया। इसी के साथ ग्यारह लोगों पर हत्या की कोशिश और हथियार रखने इत्यादि सहित संगीन धारायें लगाकर जेल भेज दिया गया।
मारुती सुजुकी के मजदूरों के समर्थन में और हरियाणा पुलिस द्वारा किये गए बर्बर लाठी के विरोध में देश के अलग-अलग हिस्सों में तथा दिल्ली में स्थित हरियाणा भवन, श्रम शक्ति भवन पर मजदूरों-छात्रों-महिलाओं के संगठनो और लोकतांत्रिक, जनपक्षधर जनता ने प्रदर्शन किये गए, जिनमे प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा भागीदारी की.
मारुति सुजुकी के
मजदूरों ने अपने वर्तमान ट्रेड यूनियन संघर्ष में यह साबित कर दिया की मजदूरों की जुझारु एकता ही मजदूरों को उनकी गुलामी की स्थिति से मुक्ति दिल सकती है. इसे बनाये रखना और बढ़ाना होगा। इसी के साथ देशभर के
मजदूरों को इस तरह के संघर्षों में अपनी संग्रामी एकजुटता कायम करनी होगी।
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