July 24, 2023

इंकलाबी मजदूर केंद्र तथा परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथियों पर हमला करने वालो को सजा दो


 दिनांक 23 जुलाई को इंकलाबी मजदूर केन्द्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा मणिपुर की घटना के विरोध में गोछी (फरीदाबाद) में रैली का आयोजन किया गया था। रैली जब विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए आगे बढ़ी तो सहदेव नाम के एक गुंडे के नेतृत्व में कुछ लड़कों ने रैली को रोकने की कोशिश की। उनकी ना सुनकर रैली जब आगे बढ़ने लगी तो उनमें से एक गुंडे ने पीछे से लोहे के डंडे से हमारे एक साथी पर हमला किया और भाग गया। उसका पीछा कर रहे 2 साथियों पर भी गली में छिपे आर एस एस - भाजपा के गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किया गया। जिनके सिरों में चोटें आई हैं।
इस हमले में इंकलाबी मजदूर केंद्र के तीन साथी संतोष, दीपक और नितेश को गंभीर चोटें आई हैं। तीनों साथियों के सिर पर हमला किया गया है। 

घटना के बाद गोछी थाने ने भी अपराधियों को बचाने की ही कोशिश की। शुरूवात में गोछी पुलिस चौकी में पुलिस एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करते रहे। लेकिन जनदबाव बढ़ने के बाद पुलिस को इन फासीवादी गुंडों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ी।

ये घटना दिखाती है कि बीजेपी और आरएसएस किस तरह का भारत बनाना चाहते हैं। पहले बीजेपी द्वारा महज सत्ता के लिए मणिपुर में मैतई और कुकी के बीच में दंगे करवाए गए। तीन महीनों से जारी इन राज्य प्रायोजित हिंसा में अब तक 160 लोग मारे जा चुके हैं। 50 हजार लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। अनेकों महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घृणित घटनाएं घटी हैं। दो महिलाओं के साथ हुए वीभत्स कांड को तो पूरा देश देख ही चुका है। इन घटनाओं का देश और दुनिया में हर जगह विरोध हो रहा है। हर जगह मोदी सरकार की थू-थू हो रही है। ऐसे में देश के भीतर अपने विरोध से बौखलाई बीजेपी और पूरी संघ मंडली अपने खिलाफ उठ रही हर आवाज को दबाने पर आमादा हैं। गोछी में इमके व पछास के साथियों पर हुआ हमला इसी की तसदीक करता है।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र इंकलाबी मजदूर केंद्र तथा परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथियों पर हुई इस हमले तथा पुलिस प्रशासन की लापरवाही की कठोर निंदा करता है तथा इमके और पछास के साथियों के साथ उनके संघर्ष में खड़ा है ।

*क्रांतिकारी अभिवादन के साथ
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र

July 21, 2023

मणिपुर की महिलाओं के साथ हुई हिंसा के खिलाफ एकजुट हो!

मणिपुर मई माह की शुरुआत से ही जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है। जब से मणिपुर में हिंसा की घटनाऐ होनी शुरु हुई तब से ही वहां इंटरनेट बंद कर रखा था। आज लगभग ढाई महीने बाद मणिपुर में जब इंटरनेट खोला गया है तब दिल को दहला देने वाला खौफनाक वीडियो सामने आया है। 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर जारी इस वीडियो में दंगाई पुरुषों का एक समूह दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाते हुए और उनका यौन उत्पीड़न करते हुए नजर आ रहा है। इनमे से एक महिला जो 19 वर्षीय लड़की है को खेत में ले जाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। यह घटना 3 या 4 मई की बतायी जा रही है। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद मणिपुर में तनाव और अधिक फैल गया है। 
           बताया जा रहा है कि यह घटना राजधानी इंफाल से 35 किमी. दूर कांगपोकपी जिले में बी फेनोम गांव की है। ये महिलायें कुकी समुदाय की हैं और दोषी मैतेई समुदाय से हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि मणिपुर में पिछले ढाई महीने से जारी हिंसा में महिलाओं के साथ किस तरह की यौन बर्बरता की गयी होगी। ज्ञात हो कि अब तक मणिपुर में हुई हिंसा में 160 लोग मारे जा चुके हैं और 50,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। घटना के वीडियो के सामने आने के बाद मोदी सरकार की चारों तरफ थू थू हो रही है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार के राज में महिलाओं के साथ इतनी बर्बरता की जा रही है जो कि शर्मनाक है।

            मणिपुर हिंसा पर लगातार विपक्ष और सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी से प्रश्न होते रहे हैं। लेकिन मोदी हैं कि बिलकुल चुप लगाकर बैठे हुए हैं। न केवल वे चुप लगाये हैं बल्कि वे इस बीच लगातार विदेशों के दौरे करते रहे हैं लेकिन मणिपुर जाने का समय वे नहीं निकाल पाये। प्रधानमंत्री मोदी के इस व्यवहार से स्पष्ट होता जा रहा है कि वे तभी किसी राज्य में जाते हैं जब वहां चुनाव होते हैं। चुनाव में बड़े-बड़े वायदे और भाषणबाजी करके वे वहां से निकल आते हैं और फिर वहां क्या हो रहा है इससे उन्हें कोई खास मतलब नहीं होता है। हां, किसी भी मौके पर वे विपक्ष खासकर कांग्रेस को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष निशाना बनाने से नहीं चूकते हैं। मणिपुर के वीडियो के वायरल होने पर अपना मुंह खोलते हुए उन्होंने इस घटना की निंदा की और दोषियों को सख्त सजा देने की बात की लेकिन साथ ही यह भी कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ या मणिपुर कोई भी राज्य हो इस तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। और साथ ही उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों को भी कहा कि वे अपने-अपने यहां कानून व्यवस्था को सख्त रखें। आखिर ज्ञान देने में मोदी जी कभी भी पीछे नहीं रहते।

          प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र का स्पष्ट मानना है कि न तो मणिपुर में यह एक मात्र घटना है और न समाज में। इस तरह की जातीय, नस्लीय, सांप्रदायिक हिंसा में ऐसी तमाम घटनाएं होती हैं। चाहे वह 1984 के दंगे हो या फिर 2002 के गुजरात के दंगे हो या दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हो इन दंगो और उसके बाद बिस्थापन का सबसे ज्यादा दंश महिलाओं और बच्चों को ही झेलना पड़ता है।

           मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ उसके पीछे की मूल वजह देखी जाये तो वही है जो सदियों से युद्ध के समय होती आ रही है। वह है एक समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार, सामूहिक बलात्कार करके या अन्य कोई वीभत्स अपराध करके उस समुदाय को अपमानित महसूस कराया जा सके। लेकिन आज अगर मणिपुर में ऐसा हो रहा है तो उसके पीछे इस मानसिकता के साथ साथ कहीं न कहीं संघ-भाजपा का वो नजरिया है जो उसने महिलाओं के मामले में अपनाया हुआ है। कुछ घटनाओ से उनके इस नजरिये का पता चलता है।

       15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने महिलाओं के साथ हो रहे अपराधो पर घड़ियाली आंसू बहाए, महिलाओं का सम्मान करने को लेकर एक सुन्दर सा भाषण लाल किले से दिया था। लेकिन उसके बाद उसी दिन गुजरात में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने वाले 11 अपराधियों को छोड़ दिया गया। ये अपराधी कौन थे? इस बारे में सभी जानते हैं। इसी प्रकार कठुआ कांड में आसिफा प्रकरण के दौरान भी भाजपा से जुड़े लोगों ने अपराधियों को बचाने के लिए तिरंगा रैली निकाली थी। अभी हाल ही में महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण के ऊपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया और पोस्को के तहत मुकदमा भी दर्ज हो गया लेकिन आज तक उसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई है आज भी वह भाजपा पार्टी और संसद में बैठा हुआ है। 

       प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र समाज में हो रही वीभत्स घटनाओ पर क्षोभ व्यक्त करता है। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र का स्पष्ट मानना है कि समाज में इन घटनाओ के बाद कुछ प्रतिक्रिया तो हुई लेकिन जैसी तीखी प्रतिक्रिया होनी चाहिए थी वैसी नहीं हो पाई। क्योंकि संघ-भाजपा ने पिछले 9 सालों में समाज को हिन्दू-मुसलमान, जाति-धर्म में इतना बांट दिया है कि वे ऐसी घटनाओं को भी हिन्दू-मुसलमान, जाति-धर्म के नजरिये से देखते हैं। 

          संघ-भाजपा ने मणिपुर में भी वर्षों से मैतेई समुदाय का हिन्दूकरण किया है और कुकी सहित अन्य जनजातियां जो ईसाई धर्म को मानती हैं के खिलाफ नफरत का बीज बोया है जिसकी फसल वे मणिपुर विधानसभा चुनाव के दौरान काट चुके हैं। दरअसल जो भीड़ उन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रही थी और बलात्कार कर रही थी वह पुरुष प्रधान मानसिकता से लैस तो थी ही लेकिन संघ-भाजपा ने जो उनका हिन्दूकरण कर साम्प्रदायिकता का बीज बोया है, उससे भी लैस थी। इसलिए मणिपुर में इतनी खौफनाक और वीभत्स घटना हुई है।

          यह मामला इतना बड़ा बन चुका है इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को ढाई महीने बाद मजबूरी में इस घटना पर बोलना पड़ा और सभी मुख्यमंत्रियों से कानून व्यवस्था कड़ी करने की बात करनी पड़ी और हो सकता है कि इस दवाब में कुछ अपराधियों को सजा हो भी जाये। 

          लेकिन क्या इससे समस्या का समाधान होगा? जाहिर सी बात है कि जब तक पुरुष प्रधान मानसिकता और उस मानसिकता को जिसे संघ-भाजपा ने वर्षों से समाज में बोयी है को खत्म नहीं किया जायेगा तब तक इस तरह की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है।

          इसके लिए आम मेहनतकश मजदूरों, महिलाओं को एकजूट होकर संघ-भाजपा जैसी घोर जनविरोधी, महिला विरोधी फासीवादी सरकार के खिलाफ संघर्ष करने की जरुरत है और ऐसे समाज को बनाने की जरुरत है जिसमें महिलाओं को बराबरी व सम्मान मिले।

May 28, 2023

संघर्ष करती महिला पहलवानों पर हमला करवाने वाली भाजपा सरकार मुर्दाबाद!!!

भारतीय कुश्ती की महिला पहलवान लंबे समय से दिल्ली के जंतर मंतर पर दिन-रात धरना प्रदर्शन कर रही हैं। वे यौन शोषण व पोक्सो एक्ट में लगे मुकदमे के तहत बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। लेकिन अभी तक बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जिसके विरोध में आज दिनांक 28 मई को महिला पहलवानों ने महिला सम्मान महापंचायत रखी थी जोकि नये भारतीय कुश्ती की महिला पहलवान लंबे समय से दिल्ली के जंतर मंतर पर दिन-रात धरना प्रदर्शन कर रही हैं। वे यौन शोषण व पोक्सो एक्ट में लगे मुकदमे के तहत बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। लेकिन अभी तक बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जिसके विरोध में आज दिनांक 28 मई को महिला पहलवानों ने महिला सम्मान महापंचायत रखी थी जोकि नये संसद भवन के नजदीक है। आज इस नए संसद भवन का उदघाटन भी होना था।
             इस महापंचायत में महिला पहलवानों का समर्थन करने के लिए जगह जगह से न्याय प्रिय लोग शामिल होने आने थे। 
महापंचायत का कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही महिला पहलवानों के ऊपर बर्बर लाठी चार्ज किया गया और महिला पहलवानों व उनके समर्थन में आए लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। अंतराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों को जंतर मंतर से घसीटते हुए ले गए। उनके धरने को उजाड़ दिया गया।
         इसके अलावा इस महापंचायत में शामिल होने जा रही महिलाओं, छात्रों व आंदोलनकारियों को पुलिस ने जगह-जगह रोककर उन पर अत्याचार किये। उनके साथ ऐसे व्यवहार किया गया जैसे कि वे अपराधी हों।  
         सरकार की इस दमनकारी व  तानाशाही पूर्ण कार्यवाही की प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र कड़े शब्दो मे निंदा करता है। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र का कहना है कि एक तरफ  देश के प्रधानमंत्री मोदी पैसे वालों के लोकतंत्र को लागू कराने वाले संसद भवन का उद्घाटन कर एक बड़ा जश्न मना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ तानाशाही पूर्ण तरीके से न्याय मांगने वालों का निमर्म दमन कर रही है। एक तरफ यौन अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण को गिरफ्तार करने के बजाय उसको संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बृजभूषण शरण पर आरोप लगाने वाली, न्याय की लड़ाई लड़ रही महिला पहलवानों व उनके समर्थकों पर निर्मम लाठी चार्ज कर गिरफ्तार कर रहे है। इस तरह की कार्यवाही कर देश में लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। अपराध करने वाले संसद भवन में सांसद बने बैठे हैं और जिनके ऊपर अपराध हुआ है जब वह न्याय की मांग कर रहे तो उनको जेलों में डाला जा रहा है। यह कैसा लोकतंत्र है? किसके लिए संसद बनाई जा रही है जनता के लिए या फिर अपराधियों को संरक्षण देने के लिए? 
आज देश की राजधानी दिल्ली मे जहाँ एकतरफ जहाँ नई संसद का उद्घाटन हो रहा था वहीं दूसरी तरफ ठीक शहर के मध्य मे महिला पहलवानों पर निर्मम कर इस बात को स्पष्ट किया जा रहा था कि ये जनतंत्र किसका और किसके लिए है
        प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र सरकार और पुलिस प्रशासन के इस तानाशाही पूर्ण दमनकारी रवैये की घोर निन्दा करता है और पोक्सो एक्ट व यौन  उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को अभी तक गिरफ्तार न करने की घोर भर्त्सना करता है। संगठन सरकार से मांग करता है कि यौन अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण को तुरंत गिरफ्तार करके कठोर से कठोर दंड दिया जाए। गिरफ्तार किए गए महिला पहलवानों समेत सभी नेताओं, महिलाओं, किसानों को तुरंत रिहा किया जाए। भवन के नजदीक है। आज इस नए संसद भवन का उदघाटन भी होना था।
             इस महापंचायत में महिला पहलवानों का समर्थन करने के लिए जगह जगह से न्याय प्रिय लोग शामिल होने आने थे। 
महापंचायत का कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही महिला पहलवानों के ऊपर बर्बर लाठी चार्ज किया गया और महिला पहलवानों व उनके समर्थन में आए लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। अंतराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों को जंतर मंतर से घसीटते हुए ले गए। उनके धरने को उजाड़ दिया गया।
         इसके अलावा इस महापंचायत में शामिल होने जा रही महिलाओं, छात्रों व आंदोलनकारियों को पुलिस ने जगह-जगह रोककर उन पर अत्याचार किये। उनके साथ ऐसे व्यवहार किया गया जैसे कि वे अपराधी हों।  
         सरकार की इस दमनकारी व  तानाशाही पूर्ण कार्यवाही की प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र कड़े शब्दो मे निंदा करता है। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र का कहना है कि एक तरफ  देश के प्रधानमंत्री मोदी पैसे वालों के लोकतंत्र को लागू कराने वाले संसद भवन का उद्घाटन कर एक बड़ा जश्न मना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ तानाशाही पूर्ण तरीके से न्याय मांगने वालों का निमर्म दमन कर रही है। एक तरफ यौन अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण को गिरफ्तार करने के बजाय उसको संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बृजभूषण शरण पर आरोप लगाने वाली, न्याय की लड़ाई लड़ रही महिला पहलवानों व उनके समर्थकों पर निर्मम लाठी चार्ज कर गिरफ्तार कर रहे है। इस तरह की कार्यवाही कर देश में लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। अपराध करने वाले संसद भवन में सांसद बने बैठे हैं और जिनके ऊपर अपराध हुआ है जब वह न्याय की मांग कर रहे तो उनको जेलों में डाला जा रहा है। यह कैसा लोकतंत्र है? किसके लिए संसद बनाई जा रही है जनता के लिए या फिर अपराधियों को संरक्षण देने के लिए? 
        प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र सरकार और पुलिस प्रशासन के इस तानाशाही पूर्ण दमनकारी रवैये की घोर निन्दा करता है और पोक्सो एक्ट व यौन  उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को अभी तक गिरफ्तार न करने की घोर भर्त्सना करता है। संगठन सरकार से मांग करता है कि यौन अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण को तुरंत गिरफ्तार करके कठोर से कठोर दंड दिया जाए। गिरफ्तार किए गए महिला पहलवानों समेत सभी नेताओं, महिलाओं, किसानों को तुरंत रिहा किया जाए।

May 26, 2023

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए फिल्मों का इस्तेमाल

 फिल्में समाज का आइना कही जाती हैं। एक दौर में सामूहिक एकता और सामूहिक संघर्ष पर आधारित फिल्में बनाई जाती थीं, क्योंकि वह दौर समाज में संघर्षो का दौर था और उस समय  संघर्षों को स्थापित किया जाता था।

लेकिन अब जब से समाज में सांप्रदायिक/फासीवादी ताकतों ने ध्रुवीकरण शुरू किया है और ये ताकतें देश की सत्ता पर काबिज हुई हैं तब से वे समाज में अपने वोट बैंक के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेज करने के लिए फिल्मों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्मों में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, गलत तथ्यों पर फिल्में बना रहे हैं। कश्मीर फाइल्स, द केरला स्टोरी जैसी फिल्मों के माध्यम से समाज में ध्रुवीकरण करने का काम कर रहे हैं।                                                      

इन दिनों 'द केरल स्टोरी' फिल्म चर्चा में है। द केरल स्टोरी का ट्रेलर पहले 2 नवंबर 2022 को यूट्यूब पर अपलोड किय गया था। ट्रेलर में दिखाया जा रहा था कि ये केरल की 32,000 महिलाओं की कहानी है। फिल्म निर्देशक सुदिप्तो सेन ने दावा किया था कि मैंगलुरु और केरल से वर्ष 2009 से लेकर अब तक 32,000 इसाई और हिंदू लड़कियों का इस्लाम में धर्म परिवर्तन किया गया और उन्हें सीरिया और अफगानिस्तान जैसे इलाकों में आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों में भेजा गया है। 

फिल्म के इस दावे को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई और फिल्मकार अपने दावे की प्रमाणिकता साबित नहीं कर पाए। जिस वजह से उस ट्रेलर को यूट्यूब से हटाना पड़ा। दोबारा तथ्यों की छानबीन करने पर 32,000 का आंकड़ा घटकर 3 पर आ गया। कहां 32,000 और कहां 3 इतना बड़ा अंतर कैसे हो सकता है इस पर गंभीर सवाल खड़े होते है। इस तरह की फिल्म के माध्यम से फिल्मकार जानबूझकर इस तथ्यविहीन झूठ को फैला रहे थे। इसके माध्यम से समाज में मुसलमानो और इस्लामिक राज्यो के प्रति नफरत फैलाने का काम कर रही है।

अब अगर तथ्यों की बात करे कि किस धर्म के कितने लोगो ने अपना धर्म छोड़ा और दूसरे धर्म को अपनाया है। 2021 में इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार केरल में वर्ष 2020 में 222 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़ा है जबकि अन्य धर्मों से 241 लोगों ने हिंदू धर्म अपनाया है। 242 लोगों ने इसाई धर्म छोड़ा है जबकि अन्य धर्म के 119 लोगों ने इसाई धर्म अपनाया है। इसी प्रकार 40 लोगों ने इस्लाम धर्म छोड़ा है और अन्य धर्म के 144 लोगों ने इस्लाम धर्म अपनाया है।

इन तथ्यों को देखे तो सभी धर्मो के कुछ लोगो ने अपना धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपनाया है। लेकिन समाज में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि बड़ी संख्या में हिंदुओं को जबरन धर्मांतरण करवाया जा रहा है। जबकि आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि सबसे ज्यादा लोगो ने हिंदू धर्म को अपनाया है। इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि इस तरह के मुद्दे उठा कर केवल सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का काम किया जा रहा है।

फिल्म में दूसरा दावा किया गया है कि हजारों मासूम लड़कियों का केरल में योजनाबद्ध तरीके से गायब कर उनका धर्म-परिवर्तन कराया गया और उन्हें आतंकवाद की तरफ धकेल दिया गया।

भाजपा केरल को आतंकवाद के गढ़ के तौर पर दिखाने की कोशिश करती है और गुजरात को विकास के मॉडल की तरह पेश करती है। केरल के लिए पहले कहा गया कि 32,000 लड़कियां लापता हुई हैं और वे आईएसआईएस में भर्ती हो गई हैं और इसे इस तरह से पेश किया गया जैसेकि लापता होने वाली केरल की हर लड़की आईएसआईएस में भर्ती हो जाती है। ये तर्क एकदम बेतुका है। अगर लापता लड़कियों के आंकड़े की भी बात करें तो गुजरात राज्य में लड़कियों के गायब होने की संख्या बहुत अधिक है जहां भाजपा की सरकारें हैं और भाजपा गुजरात को एक मॉडल के तौर पर प्रस्तुत करती है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 8,290 महिलाओं के लापता होने की सूचना है। गुजरात में 5 साल के दौरान 41,000 से अधिक महिलाओं के लापता होने के मामले सामने आए हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में 7,105, वर्ष 2017 में 7,712, वर्ष 2018 में 9,246 और वर्ष 2019 में 9,268 और वर्ष 2020 में 8,290 महिलाएं लापता हुई है।इतने सालों में तो किसी को गुजरात स्टोरी बनाने की याद नहीं आई। 5 सालो में इतनी ज्यादा गायब लड़कियों पर तो गुजरात स्टोरी बनाई ही जानी चाहिए।
दूसरी बात लड़कियों का लापता होना गंभीर विषय है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लापता होने वाली सभी लड़कियां आईएसआईएस में शामिल हो गई है। 

जैसा कि आज समाज में बड़े स्तर पर मानव तस्करी हो रही है। हो सकता है कि उसमे हिस्से के बतौर ये लापता लड़कियां मानव तस्करी का शिकार हुई हो और उनको दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच दिया जाता है। इसके अलावा एक जगह से लड़कियों को गायब कर दूसरी जगह पर वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है। इसके अलावा भी लड़कियों के गायब होने के और भी कारण होते हैं।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र का स्पष्ट मानना है कि 'द केरला स्टोरी' तथ्यों और सच्चाई से परे है और समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए भाजपा का पूरा तानाबाना (नेताओ से लेकर आई टी सेल तक) इस फिल्म का प्रचार कर रहे हैं। कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस फिल्म को अपने राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया है। भाजपा के अनुसार ये फिल्म आतंकवादी गतिविधियों और उनकी साजिश को बेपर्दा करती है। इसी तरह कुछ समय पहले कश्मीर फाइल फिल्म का प्रचार भाजपा के द्वारा किया गया था। इस तरह की फिल्मों के माध्यम से हिन्दू फासीवादी समाज में धार्मिक उन्माद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। यानी अपने नफरती उन्मादी विचारों को फैलाने के लिए फिल्मों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। 
ऐसी सांप्रदायिक उन्मादी विचारों को फैलाने वाली फिल्मों पर तत्काल प्रतिबंधित करना चाहिए।
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