May 28, 2023

संघर्ष करती महिला पहलवानों पर हमला करवाने वाली भाजपा सरकार मुर्दाबाद!!!

भारतीय कुश्ती की महिला पहलवान लंबे समय से दिल्ली के जंतर मंतर पर दिन-रात धरना प्रदर्शन कर रही हैं। वे यौन शोषण व पोक्सो एक्ट में लगे मुकदमे के तहत बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। लेकिन अभी तक बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जिसके विरोध में आज दिनांक 28 मई को महिला पहलवानों ने महिला सम्मान महापंचायत रखी थी जोकि नये भारतीय कुश्ती की महिला पहलवान लंबे समय से दिल्ली के जंतर मंतर पर दिन-रात धरना प्रदर्शन कर रही हैं। वे यौन शोषण व पोक्सो एक्ट में लगे मुकदमे के तहत बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। लेकिन अभी तक बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जिसके विरोध में आज दिनांक 28 मई को महिला पहलवानों ने महिला सम्मान महापंचायत रखी थी जोकि नये संसद भवन के नजदीक है। आज इस नए संसद भवन का उदघाटन भी होना था।
             इस महापंचायत में महिला पहलवानों का समर्थन करने के लिए जगह जगह से न्याय प्रिय लोग शामिल होने आने थे। 
महापंचायत का कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही महिला पहलवानों के ऊपर बर्बर लाठी चार्ज किया गया और महिला पहलवानों व उनके समर्थन में आए लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। अंतराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों को जंतर मंतर से घसीटते हुए ले गए। उनके धरने को उजाड़ दिया गया।
         इसके अलावा इस महापंचायत में शामिल होने जा रही महिलाओं, छात्रों व आंदोलनकारियों को पुलिस ने जगह-जगह रोककर उन पर अत्याचार किये। उनके साथ ऐसे व्यवहार किया गया जैसे कि वे अपराधी हों।  
         सरकार की इस दमनकारी व  तानाशाही पूर्ण कार्यवाही की प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र कड़े शब्दो मे निंदा करता है। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र का कहना है कि एक तरफ  देश के प्रधानमंत्री मोदी पैसे वालों के लोकतंत्र को लागू कराने वाले संसद भवन का उद्घाटन कर एक बड़ा जश्न मना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ तानाशाही पूर्ण तरीके से न्याय मांगने वालों का निमर्म दमन कर रही है। एक तरफ यौन अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण को गिरफ्तार करने के बजाय उसको संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बृजभूषण शरण पर आरोप लगाने वाली, न्याय की लड़ाई लड़ रही महिला पहलवानों व उनके समर्थकों पर निर्मम लाठी चार्ज कर गिरफ्तार कर रहे है। इस तरह की कार्यवाही कर देश में लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। अपराध करने वाले संसद भवन में सांसद बने बैठे हैं और जिनके ऊपर अपराध हुआ है जब वह न्याय की मांग कर रहे तो उनको जेलों में डाला जा रहा है। यह कैसा लोकतंत्र है? किसके लिए संसद बनाई जा रही है जनता के लिए या फिर अपराधियों को संरक्षण देने के लिए? 
आज देश की राजधानी दिल्ली मे जहाँ एकतरफ जहाँ नई संसद का उद्घाटन हो रहा था वहीं दूसरी तरफ ठीक शहर के मध्य मे महिला पहलवानों पर निर्मम कर इस बात को स्पष्ट किया जा रहा था कि ये जनतंत्र किसका और किसके लिए है
        प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र सरकार और पुलिस प्रशासन के इस तानाशाही पूर्ण दमनकारी रवैये की घोर निन्दा करता है और पोक्सो एक्ट व यौन  उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को अभी तक गिरफ्तार न करने की घोर भर्त्सना करता है। संगठन सरकार से मांग करता है कि यौन अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण को तुरंत गिरफ्तार करके कठोर से कठोर दंड दिया जाए। गिरफ्तार किए गए महिला पहलवानों समेत सभी नेताओं, महिलाओं, किसानों को तुरंत रिहा किया जाए। भवन के नजदीक है। आज इस नए संसद भवन का उदघाटन भी होना था।
             इस महापंचायत में महिला पहलवानों का समर्थन करने के लिए जगह जगह से न्याय प्रिय लोग शामिल होने आने थे। 
महापंचायत का कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही महिला पहलवानों के ऊपर बर्बर लाठी चार्ज किया गया और महिला पहलवानों व उनके समर्थन में आए लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। अंतराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों को जंतर मंतर से घसीटते हुए ले गए। उनके धरने को उजाड़ दिया गया।
         इसके अलावा इस महापंचायत में शामिल होने जा रही महिलाओं, छात्रों व आंदोलनकारियों को पुलिस ने जगह-जगह रोककर उन पर अत्याचार किये। उनके साथ ऐसे व्यवहार किया गया जैसे कि वे अपराधी हों।  
         सरकार की इस दमनकारी व  तानाशाही पूर्ण कार्यवाही की प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र कड़े शब्दो मे निंदा करता है। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र का कहना है कि एक तरफ  देश के प्रधानमंत्री मोदी पैसे वालों के लोकतंत्र को लागू कराने वाले संसद भवन का उद्घाटन कर एक बड़ा जश्न मना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ तानाशाही पूर्ण तरीके से न्याय मांगने वालों का निमर्म दमन कर रही है। एक तरफ यौन अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण को गिरफ्तार करने के बजाय उसको संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बृजभूषण शरण पर आरोप लगाने वाली, न्याय की लड़ाई लड़ रही महिला पहलवानों व उनके समर्थकों पर निर्मम लाठी चार्ज कर गिरफ्तार कर रहे है। इस तरह की कार्यवाही कर देश में लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। अपराध करने वाले संसद भवन में सांसद बने बैठे हैं और जिनके ऊपर अपराध हुआ है जब वह न्याय की मांग कर रहे तो उनको जेलों में डाला जा रहा है। यह कैसा लोकतंत्र है? किसके लिए संसद बनाई जा रही है जनता के लिए या फिर अपराधियों को संरक्षण देने के लिए? 
        प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र सरकार और पुलिस प्रशासन के इस तानाशाही पूर्ण दमनकारी रवैये की घोर निन्दा करता है और पोक्सो एक्ट व यौन  उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को अभी तक गिरफ्तार न करने की घोर भर्त्सना करता है। संगठन सरकार से मांग करता है कि यौन अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण को तुरंत गिरफ्तार करके कठोर से कठोर दंड दिया जाए। गिरफ्तार किए गए महिला पहलवानों समेत सभी नेताओं, महिलाओं, किसानों को तुरंत रिहा किया जाए।

May 26, 2023

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए फिल्मों का इस्तेमाल

 फिल्में समाज का आइना कही जाती हैं। एक दौर में सामूहिक एकता और सामूहिक संघर्ष पर आधारित फिल्में बनाई जाती थीं, क्योंकि वह दौर समाज में संघर्षो का दौर था और उस समय  संघर्षों को स्थापित किया जाता था।

लेकिन अब जब से समाज में सांप्रदायिक/फासीवादी ताकतों ने ध्रुवीकरण शुरू किया है और ये ताकतें देश की सत्ता पर काबिज हुई हैं तब से वे समाज में अपने वोट बैंक के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेज करने के लिए फिल्मों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्मों में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, गलत तथ्यों पर फिल्में बना रहे हैं। कश्मीर फाइल्स, द केरला स्टोरी जैसी फिल्मों के माध्यम से समाज में ध्रुवीकरण करने का काम कर रहे हैं।                                                      

इन दिनों 'द केरल स्टोरी' फिल्म चर्चा में है। द केरल स्टोरी का ट्रेलर पहले 2 नवंबर 2022 को यूट्यूब पर अपलोड किय गया था। ट्रेलर में दिखाया जा रहा था कि ये केरल की 32,000 महिलाओं की कहानी है। फिल्म निर्देशक सुदिप्तो सेन ने दावा किया था कि मैंगलुरु और केरल से वर्ष 2009 से लेकर अब तक 32,000 इसाई और हिंदू लड़कियों का इस्लाम में धर्म परिवर्तन किया गया और उन्हें सीरिया और अफगानिस्तान जैसे इलाकों में आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों में भेजा गया है। 

फिल्म के इस दावे को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई और फिल्मकार अपने दावे की प्रमाणिकता साबित नहीं कर पाए। जिस वजह से उस ट्रेलर को यूट्यूब से हटाना पड़ा। दोबारा तथ्यों की छानबीन करने पर 32,000 का आंकड़ा घटकर 3 पर आ गया। कहां 32,000 और कहां 3 इतना बड़ा अंतर कैसे हो सकता है इस पर गंभीर सवाल खड़े होते है। इस तरह की फिल्म के माध्यम से फिल्मकार जानबूझकर इस तथ्यविहीन झूठ को फैला रहे थे। इसके माध्यम से समाज में मुसलमानो और इस्लामिक राज्यो के प्रति नफरत फैलाने का काम कर रही है।

अब अगर तथ्यों की बात करे कि किस धर्म के कितने लोगो ने अपना धर्म छोड़ा और दूसरे धर्म को अपनाया है। 2021 में इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार केरल में वर्ष 2020 में 222 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़ा है जबकि अन्य धर्मों से 241 लोगों ने हिंदू धर्म अपनाया है। 242 लोगों ने इसाई धर्म छोड़ा है जबकि अन्य धर्म के 119 लोगों ने इसाई धर्म अपनाया है। इसी प्रकार 40 लोगों ने इस्लाम धर्म छोड़ा है और अन्य धर्म के 144 लोगों ने इस्लाम धर्म अपनाया है।

इन तथ्यों को देखे तो सभी धर्मो के कुछ लोगो ने अपना धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपनाया है। लेकिन समाज में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि बड़ी संख्या में हिंदुओं को जबरन धर्मांतरण करवाया जा रहा है। जबकि आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि सबसे ज्यादा लोगो ने हिंदू धर्म को अपनाया है। इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि इस तरह के मुद्दे उठा कर केवल सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का काम किया जा रहा है।

फिल्म में दूसरा दावा किया गया है कि हजारों मासूम लड़कियों का केरल में योजनाबद्ध तरीके से गायब कर उनका धर्म-परिवर्तन कराया गया और उन्हें आतंकवाद की तरफ धकेल दिया गया।

भाजपा केरल को आतंकवाद के गढ़ के तौर पर दिखाने की कोशिश करती है और गुजरात को विकास के मॉडल की तरह पेश करती है। केरल के लिए पहले कहा गया कि 32,000 लड़कियां लापता हुई हैं और वे आईएसआईएस में भर्ती हो गई हैं और इसे इस तरह से पेश किया गया जैसेकि लापता होने वाली केरल की हर लड़की आईएसआईएस में भर्ती हो जाती है। ये तर्क एकदम बेतुका है। अगर लापता लड़कियों के आंकड़े की भी बात करें तो गुजरात राज्य में लड़कियों के गायब होने की संख्या बहुत अधिक है जहां भाजपा की सरकारें हैं और भाजपा गुजरात को एक मॉडल के तौर पर प्रस्तुत करती है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 8,290 महिलाओं के लापता होने की सूचना है। गुजरात में 5 साल के दौरान 41,000 से अधिक महिलाओं के लापता होने के मामले सामने आए हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में 7,105, वर्ष 2017 में 7,712, वर्ष 2018 में 9,246 और वर्ष 2019 में 9,268 और वर्ष 2020 में 8,290 महिलाएं लापता हुई है।इतने सालों में तो किसी को गुजरात स्टोरी बनाने की याद नहीं आई। 5 सालो में इतनी ज्यादा गायब लड़कियों पर तो गुजरात स्टोरी बनाई ही जानी चाहिए।
दूसरी बात लड़कियों का लापता होना गंभीर विषय है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लापता होने वाली सभी लड़कियां आईएसआईएस में शामिल हो गई है। 

जैसा कि आज समाज में बड़े स्तर पर मानव तस्करी हो रही है। हो सकता है कि उसमे हिस्से के बतौर ये लापता लड़कियां मानव तस्करी का शिकार हुई हो और उनको दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच दिया जाता है। इसके अलावा एक जगह से लड़कियों को गायब कर दूसरी जगह पर वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है। इसके अलावा भी लड़कियों के गायब होने के और भी कारण होते हैं।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र का स्पष्ट मानना है कि 'द केरला स्टोरी' तथ्यों और सच्चाई से परे है और समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए भाजपा का पूरा तानाबाना (नेताओ से लेकर आई टी सेल तक) इस फिल्म का प्रचार कर रहे हैं। कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस फिल्म को अपने राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया है। भाजपा के अनुसार ये फिल्म आतंकवादी गतिविधियों और उनकी साजिश को बेपर्दा करती है। इसी तरह कुछ समय पहले कश्मीर फाइल फिल्म का प्रचार भाजपा के द्वारा किया गया था। इस तरह की फिल्मों के माध्यम से हिन्दू फासीवादी समाज में धार्मिक उन्माद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। यानी अपने नफरती उन्मादी विचारों को फैलाने के लिए फिल्मों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। 
ऐसी सांप्रदायिक उन्मादी विचारों को फैलाने वाली फिल्मों पर तत्काल प्रतिबंधित करना चाहिए।

March 20, 2023

बेलसोनिका मजदूर यूनियन का संघर्ष जिंदाबाद

 हरियाणा के मानेसर में ऑटो पार्ट्स बनाने वाली बेलसोनिका कंपनी है जिसका प्रबंधन कम्पनी में
स्थाई मजदूरों की जगह ठेके के मजदूरों को रखने की कार्यवाही कर रहा है। इस कार्यवाही को प्रबंधन स्थाई मजदूरों की घरेलू जांच के बहाने खुली छिपी छंटनी कर रहा है और कंपनी में ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। साल 2022 में कंपनी प्रबंधन ने बेलसोनिका के तीन स्थाई मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया था जिसकी वजह से इन मजदूरों का परिवार संकट में आ गया है। कंपनी प्रबंधन के मनमाना तरीके से मजदूरों को निकाले जाने के विरोध में मजदूर जब भी विरोध करते हैं तो कंपनी प्रबंधन द्वारा गुंडे बुलाकर उकसावे पूर्ण कार्वाईयां करने की कोशिश कर रहा है। कंपनी में आए दिन बाउंसर्स तथा पुलिस प्रशासन द्वारा मजदूरों में भय का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

कंपनी प्रबंधन के इस छंटनी की कार्रवाई की वजह से बेलसोनिका के न सिर्फ मजदूर बल्कि उनके परिवार भी तलवार की धार पर चल रहे हैं। लगातार छंटनी का खतरा मजदूरों के परिवारों तथा उनके बच्चों का भविष्य खतरे में डाल रहा है। बेलसोनिका कंपनी में स्थाई मजदूर कई सालों से कंपनी के लिए काम कर रहे हैं।

कंपनी के इस अन्यायपूर्ण कार्रवाईयों के खिलाफ बेलसोनिका यूनियन लंबे समय से संघर्ष कर रही है। यूनियन के इस संघर्ष को दबाने के लिए प्रबंधन तमाम तरीके की साजिशें रच रहा है। संघर्ष को रोकने के पहले प्रबंधन द्वारा एक ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देने के बहाने यूनियन के रजिस्ट्रेशन को रद्द करवाने की कोशिश की गई। इस पर भी जब यूनियन का संघर्ष नहीं रुका तो प्रबंधन द्वारा 17 मार्च 2023 को यूनियन के तीन पदाधिकारियों मोहिंदर कपूर (प्रधान), अजीत सिंह (महासचिव) तथा सुनील कुमार (संगठन सचिव) को निलंबित कर दिया गया। प्रबंधन द्वारा तीनों पदाधिकारियों पर अशांति फैलाने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। जबकि यूनियन लागातर अपने मंच से मजदूरों से शांति बनाए रखने तथा प्रबंधन के उकसावे पूर्ण कार्रवाईयों में न फंसने की अपील कर रही है।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र बेलसोनिका मजदूरों तथा उनके परिवारों के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करता है तथा उनके साथ उनके संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने का संकल्प लेता है। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र मांग करता हैः

बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा की जा रही मजदूरों की छंटनी पर रोक लगाओ!”

बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा निकाले गए मजदूरों को तुरंत बहाल करो!”

निलंबित किए गए यूनियन पदाधिकारियों को तुरंत बहाल करो!”

                                                                      

इंकलाब जिंदाबाद

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी

December 28, 2022

महिला अधिकारों के लिए समर्पित प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की कार्यकर्ता निगार नफीस को भावभीनी श्रद्धांजलि

27 दिसंबर 2022 की सुबह प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की कार्यकर्ता निगार नफीस की मृत्यु हो गई। 67 वर्षीय निगार जी की तबियत लंबे समय से खराब चल रही थी। 27 दिसंबर की सुबह दोनों फेफड़े खराब हो जाने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई। निगार नफीस अपने पीछे तीन बेटों तथा तीन बेटियों को छोड़ गई हैं। बंदायु जिले के शेखुपुरा गांव की निवासी निगार नफीस युवावस्था से ही जनपक्षीय राजनीति में सक्रिय रही तथा अपने अधिवक्ता के पेशे के जरिए जरूरतमंद महिलाओं की मदद करती रहीं। वह शुरुआती दिनों में अपने पति नफीस अहमद के साथ भाकपा (माले ) से जुड़ीं किंतु जब राजनीतिक मसलों की वजह से उनके एक बेटे की हत्या हो गई तो उन्होंने भाकपा (माले) छोड़ दिया। भाकपा छोड़ने के बाद भी निगार नफीस निरंतर जनपक्षीय राजनीति में से जुड़ी रहीं। 2017 में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र से जुड़कर उन्होंने महिला अधिकारों पर काम करना शुरु किया। निगार नफीस ने जीवन पर्यंत महिलाओं से जुड़ी रुढ़िवादिता के खिलाफ लगातार संघर्ष किया। वह कामकाजी महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर बच्चों की देख-रेख तथा अन्य प्रावधान जिनका श्रम कानूनों में जिक्र है के लिए भी आवाज उठाती रहीं।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र अपनी कार्यकर्ता तथा पूर्व केंद्रीय परिषद सदस्य के जाने से शोकाकुल है तथा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी

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