March 20, 2023

बेलसोनिका मजदूर यूनियन का संघर्ष जिंदाबाद

 हरियाणा के मानेसर में ऑटो पार्ट्स बनाने वाली बेलसोनिका कंपनी है जिसका प्रबंधन कम्पनी में
स्थाई मजदूरों की जगह ठेके के मजदूरों को रखने की कार्यवाही कर रहा है। इस कार्यवाही को प्रबंधन स्थाई मजदूरों की घरेलू जांच के बहाने खुली छिपी छंटनी कर रहा है और कंपनी में ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। साल 2022 में कंपनी प्रबंधन ने बेलसोनिका के तीन स्थाई मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया था जिसकी वजह से इन मजदूरों का परिवार संकट में आ गया है। कंपनी प्रबंधन के मनमाना तरीके से मजदूरों को निकाले जाने के विरोध में मजदूर जब भी विरोध करते हैं तो कंपनी प्रबंधन द्वारा गुंडे बुलाकर उकसावे पूर्ण कार्वाईयां करने की कोशिश कर रहा है। कंपनी में आए दिन बाउंसर्स तथा पुलिस प्रशासन द्वारा मजदूरों में भय का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

कंपनी प्रबंधन के इस छंटनी की कार्रवाई की वजह से बेलसोनिका के न सिर्फ मजदूर बल्कि उनके परिवार भी तलवार की धार पर चल रहे हैं। लगातार छंटनी का खतरा मजदूरों के परिवारों तथा उनके बच्चों का भविष्य खतरे में डाल रहा है। बेलसोनिका कंपनी में स्थाई मजदूर कई सालों से कंपनी के लिए काम कर रहे हैं।

कंपनी के इस अन्यायपूर्ण कार्रवाईयों के खिलाफ बेलसोनिका यूनियन लंबे समय से संघर्ष कर रही है। यूनियन के इस संघर्ष को दबाने के लिए प्रबंधन तमाम तरीके की साजिशें रच रहा है। संघर्ष को रोकने के पहले प्रबंधन द्वारा एक ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देने के बहाने यूनियन के रजिस्ट्रेशन को रद्द करवाने की कोशिश की गई। इस पर भी जब यूनियन का संघर्ष नहीं रुका तो प्रबंधन द्वारा 17 मार्च 2023 को यूनियन के तीन पदाधिकारियों मोहिंदर कपूर (प्रधान), अजीत सिंह (महासचिव) तथा सुनील कुमार (संगठन सचिव) को निलंबित कर दिया गया। प्रबंधन द्वारा तीनों पदाधिकारियों पर अशांति फैलाने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। जबकि यूनियन लागातर अपने मंच से मजदूरों से शांति बनाए रखने तथा प्रबंधन के उकसावे पूर्ण कार्रवाईयों में न फंसने की अपील कर रही है।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र बेलसोनिका मजदूरों तथा उनके परिवारों के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करता है तथा उनके साथ उनके संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने का संकल्प लेता है। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र मांग करता हैः

बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा की जा रही मजदूरों की छंटनी पर रोक लगाओ!”

बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा निकाले गए मजदूरों को तुरंत बहाल करो!”

निलंबित किए गए यूनियन पदाधिकारियों को तुरंत बहाल करो!”

                                                                      

इंकलाब जिंदाबाद

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी

December 28, 2022

महिला अधिकारों के लिए समर्पित प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की कार्यकर्ता निगार नफीस को भावभीनी श्रद्धांजलि

27 दिसंबर 2022 की सुबह प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की कार्यकर्ता निगार नफीस की मृत्यु हो गई। 67 वर्षीय निगार जी की तबियत लंबे समय से खराब चल रही थी। 27 दिसंबर की सुबह दोनों फेफड़े खराब हो जाने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई। निगार नफीस अपने पीछे तीन बेटों तथा तीन बेटियों को छोड़ गई हैं। बंदायु जिले के शेखुपुरा गांव की निवासी निगार नफीस युवावस्था से ही जनपक्षीय राजनीति में सक्रिय रही तथा अपने अधिवक्ता के पेशे के जरिए जरूरतमंद महिलाओं की मदद करती रहीं। वह शुरुआती दिनों में अपने पति नफीस अहमद के साथ भाकपा (माले ) से जुड़ीं किंतु जब राजनीतिक मसलों की वजह से उनके एक बेटे की हत्या हो गई तो उन्होंने भाकपा (माले) छोड़ दिया। भाकपा छोड़ने के बाद भी निगार नफीस निरंतर जनपक्षीय राजनीति में से जुड़ी रहीं। 2017 में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र से जुड़कर उन्होंने महिला अधिकारों पर काम करना शुरु किया। निगार नफीस ने जीवन पर्यंत महिलाओं से जुड़ी रुढ़िवादिता के खिलाफ लगातार संघर्ष किया। वह कामकाजी महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर बच्चों की देख-रेख तथा अन्य प्रावधान जिनका श्रम कानूनों में जिक्र है के लिए भी आवाज उठाती रहीं।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र अपनी कार्यकर्ता तथा पूर्व केंद्रीय परिषद सदस्य के जाने से शोकाकुल है तथा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी

September 2, 2022

बिल्किस बानो केस में अपराधियों की रिहाई के पीछे की राजनीति

आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर अमृत महोत्सव मनाया गया। इस दिन लाल किले की प्रचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में महिलाओं के सशक्तिकरण, उनके सम्मान का खास तौर पर जिक्र किया। उन्होंने महिलाओं के अपमान को लेकर अपनी पीड़ा भी जाहिर की। 

लेकिन उसी दिन गुजरात उन्ही की पार्टी के लोगों ने बिलक़ीस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया। बिलक़ीस बानो का मामला 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित सबसे गंभीर और घृणित मामलों में से एक था। 
लेकिन आज़ादी के अमृत महोत्सव में स्वतंत्रता दिवस पर इन दोषियों की रिहाई सवालों के घेरे में है।
 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के पास एक गाँव में उन्मादी भीड़ ने उनके परिवार पर हमला किया था। इस दौरान पाँच महीने की गर्भवती बिलकीस बानो के साथ 11 लोगों ने गैंगरेप किया। उनकी तीन साल की बेटी सालेहा को पत्थर पर पटक पटक कर बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस दंगे में बिलक़ीस बानो की माँ, छोटी बहन और अन्य रिश्तेदार समेत 7 लोग मारे गए थे।

March 2, 2022

सवाल हिजाब या स्कर्ट का नहीं व्यक्तिगत आजादी का है...

  

6 फरवरी को कर्नाटक के उडुप्पी जिले के मांड्या  शहर में पी00एस0 कॉलेज की एक मुस्लिम छात्राजो अपने पारम्परिक कपड़ों हिजाब पहने थी को संघी गुण्डों ने घेरने और डराने का प्रयास किया। कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद 06 जनवरी से शुरु हुआ था। कर्नाटक के उडुप्पी जिले में एक कॉलेज ने 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कॉलेज में प्रवेश करने रोक दिया था। कॉलेज मैनेजमेन्ट ने इसे नई यूनिफार्म पॉलिसी के कारण प्रतिबंधित किया था। इसके बाद इन छः लड़कियों ने कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। छात्राओं ने हिजाब पहनने की इजाजत नहीं देने को संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकारों के हनन का हवाला भी दिया है। संविधान के अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) के अंतर्गत यह दर्ज है कि राज्यभारत के राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। संविधान के अनुच्छेद 25 (ए) (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) के अंतर्गत अतःकरणधर्म के आचरण की स्वतंत्रता और धर्म का प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता के अंतर्गत यह दर्ज है कि लोक व्यवस्थासदाचार और स्वास्थ्य तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुएसभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से माननेआचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा।
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