6 फरवरी को कर्नाटक के उडुप्पी जिले के मांड्या शहर में पी0ई0एस0 कॉलेज की एक मुस्लिम छात्रा, जो अपने पारम्परिक कपड़ों हिजाब पहने थी को संघी गुण्डों ने घेरने और डराने का प्रयास किया। कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद 06 जनवरी से शुरु हुआ था। कर्नाटक के उडुप्पी जिले में एक कॉलेज ने 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कॉलेज में प्रवेश करने रोक दिया था। कॉलेज मैनेजमेन्ट ने इसे नई यूनिफार्म पॉलिसी के कारण प्रतिबंधित किया था। इसके बाद इन छः लड़कियों ने कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। छात्राओं ने हिजाब पहनने की इजाजत नहीं देने को संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकारों के हनन का हवाला भी दिया है। संविधान के अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) के अंतर्गत यह दर्ज है कि राज्य, भारत के राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। संविधान के अनुच्छेद 25 (ए) (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) के अंतर्गत अतःकरण, धर्म के आचरण की स्वतंत्रता और धर्म का प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता के अंतर्गत यह दर्ज है कि लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा।
यहां सवाल हिजाब, पर्दा, या स्कर्ट का नहीं है। असल बात यह है कि फासीवादी सोच से ग्रसित संघी लम्पटों और उसके अनुषांगिक संगठनों को महिलाओं के स्वतंत्र व्यक्तित्व, स्वतंत्र सोच, महिलाओं की आजादी और उनके खुदमुख्तार होने से दिक्कत है। अगर ऐसा नहीं होता तो ये वेलेन्टाइन डे पर युवक-युवतियों पर हमला नहीं करते। यदि ऐसा नहीं होता तो ये हिन्दू महिलाओं के मुस्लिम लड़कों से किये जाने वाले प्रेम या विवाह पर लव जिहाद का लेबल लगाकर हिन्दू महिलाओं के अपनी इच्छा से अपने जीवन साथी के चुनाव पर हमला नहीं करते।
कनार्टक में संघी लम्पटों द्वारा की गई गुंडई लड़कियों के शिक्षा के अधिकार को सीमित, संकुचित कर भविष्य में उनके शिक्षा के अधिकार को छीन कर लड़कियों को शिक्षा से बाहर धकेलकर वापस घरों में कैद करने की और बढ़ाया गया कदम है। उन गुण्डों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। यह उनके सत्ता में बैठे लम्पट नेताओं के साथ सांठ-गांठ को दर्शाता है। इन संघी गुण्डों को सत्ता का वरदहस्त प्राप्त है। अन्यथा यह कैसे हो सकता है कि किसी धर्म विशेष के लोग पुलिस की भूमिका में आ जायें। किसी दूसरे धर्म विशेष के लोगों विशेषकर मुस्लिम महिलाओ को निशाना बनाकर जबरदस्ती अपनी सोच को उन पर थोपना शुरु कर दें। महिलाओं-छात्राओं को अपनी कुंठा को शिकार बनायें। उनके कपड़ों को नोचना-छीनना शुरु कर दें। हम देखते हैं कि जब से केन्द्र में संघी मानसिकता के लोग सत्ता पर काबिज हुए हैं तब से मुस्लिम महिलाओं पर हमले दिनों-दिन बढ़े है। वे लगातार मुस्लिम महिलाओं को अपना निशाना बना रहे हैं, चाहे वह तीन तलाक का मामला हो या फिर हिजाब पहनने का मामला हो।
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र को स्पष्ट मानना है कि यह महिलाओं की व्यक्गित स्वतंत्रता का मामला है कि वे क्या पहनती ओढ़ती हैं या क्या खाती या पढ़ती हैं। यह उनका मौलिक अधिकार है। और भारत का संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार लिखित रूप में देता है। जिसे उनसे कोई भी नहीं छीन सकता। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र संघी लम्पटों की घटिया कार्यवाही की घोर निदा करता है तथा उन पर कानूनी कार्यवाही की मांग करता है तथा छात्राओं की स्वतंत्रता के साथ पूरी शिद्दत के साथ खड़ा है।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी
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