इंकलाबी मज़दूर केंद्र के साथी कंचन का आज (16 सितंबर) सुबह कैंसर की असाध्य बीमारी से निधन हो गया।
52 वर्षीय साथी कंचन मज़दूर वर्ग की मुक्ति के ध्येय को समर्पित इंकलाबी योध्दा थे, जो कि अपनी अंतिम सांस तक अपने लक्ष्य को समर्पित रहे। मुख्यतः बरेली में सक्रिय साथी कंचन दा 2 माह पूर्व अपनी तबियत बिगड़ने से पहले किसान आंदोलन के गाजीपुर बॉर्डर पर इंकलाबी मज़दूर केंद्र की टीम के साथ डटे हुये थे। वे बेहद प्रतिभाशाली, लोकप्रिय संस्कृतिकर्मी और उतने ही जिंदादिल इंसान भी थे। उनके जोशीले क्रांतिकारी गीत हमारे बीच आज भी मौजूद हैं।
यह एक बेहद कठिन समय है, जब धारा के विरुद्ध खड़ा होकर मज़दूर पक्षीय परिवर्तन में पूरी शिद्दत से लगे साथी एक के बाद एक हमसे जुदा हो रहे हैं। यह पूरे क्रांतिकारी आंदोलन के लिए बेहद दुख और चुनौती का समय है।
पीड़ा और शोक की इस घड़ी को हमें ताक़त में बदलना होगा। यही साथी कंचन और उन तमाम सहयात्रियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने अपना जीवन मज़दूर वर्ग की मुक्ति के जीवट संघर्षों को समर्पित कर दिया!
🚩साथी को विनम्र श्रद्धांजलि के साथ आखिरी लाल सलाम!🚩
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी
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