दिनांक 16 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर अपना कब्जा कर लिया। अब पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का अपना कब्जा है और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर रेगिस्तान भाग गए हैं। जो कल तक अपनी राजधानी के विषय में महफूज थे कि कुछ नहीं होगl अब वह अपने देश की जनता को तानाशाहों के हाथों में छोड़ भाग गये।
अफगानिस्तान में अमेरिकी यूरोपीय यूनियन के
साथ-साथ चीन एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में मौजूद है। उसके अपने हित इस क्षेत्र
में किसी से भी नहीं छिपे हैं। भारत से भी सैन्य मदद की अपील गनी सरकार कई बार कर चुकी
है, लेकिन साम्राज्यवादी खिलाड़ी अभी भारत को तरजीह नहीं दे रहे हैं। भारतीय शासकों
के भी पर्दे के पीछे तालिबान से वार्ता की खबरें आती रही हैं पर अपनी और अमेरिकापरस्ती
के चलते उसे तालिबान की बढ़त से अपने निवेश के डूबने का ही अधिक भय है। संयुक्त राज्य
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडेन बातें कर रहे थे कि सेनाएं हटाए जाने के बाद तालिबान
कुछ नहीं कर सकता है। लेकिन इस सबके पीछे अमेरिका के अपने हित मौजूद हैं। यह सियासत
की चालें चलने वाले ही बेहतर समझ सकते हैं कि उनके मंसूबे क्या हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि अफगानिस्तान की गुलामी की जंजीर टूट गई है। चीन अपना दोस्ती का हाथ तालिबान के साथ बढ़ा रहा है। आमजन खतरे का अहसास कर अफरातफरी के माहौल में देश छोड़कर भाग रहा है तो कोई मौत का डर ना मानकर तालिबान के डर से मौत को गले लगा रहा है। समाचारों में कुछ ऐसा ही मंजर दिखाई देता है जब लोग हवाई जहाज के पहिए पकड़कर देश से भागने का प्रयास करने मैं ऊपर से गिर गये और 3 लोगों की मौत हो गयी।