प्रसिद्ध इतिहासकार, जनपक्षधर बुद्धिजीवी और सामाजिक- राजनीतिक कार्यकर्ता प्रो. लाल बहादुर वर्मा हमारे बीच नहीं रहे। दिनांक 17 मई को 84 वर्ष की आयु में देहरादून में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे कोरोना पीड़ित थे और उन्हें उपयुक्त इलाज नहीं मिल सका।
इलाहाबाद विश्विद्यालय से अवकाश प्राप्त प्रो. लाल बहादुर वर्मा का पूरा जीवन पूंजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध जारी संघर्षों को समर्पित रहा। वे अपनी अंतिम सांस तक समानता पर आधारित नये समाज का सपना दिल में संजोये रहे। लाल बहादुर वर्मा अपनी पूरी उम्र नए लोगों को इस रास्ते से जोड़ने और उनके मार्गदर्शन का काम किया। चाहे किसी भी उम्र का व्यक्ति हो वर्मा जी हमेशा एक मार्गदर्श के साथ-साथ एक दोस्त के रूप में मिले।
इतिहास बोध सरीखी क्रांतिकारी- वैचारिक पत्रिका का वर्षों संपादन करने वाले प्रो. लाल बहादुर वर्मा ने इतिहास पर कई किताबें लिखी और कई महत्वपूर्ण किताबों का अनुवाद भी किया। साथ ही वे रंगकर्म से भी जुड़े रहे। इतिहास बोध से लैस ऐसे आजीवन सक्रिय, समर्पित साथी का निधन एक अपूर्णनीय क्षति है।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र दिवंगत साथी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि एवं लाल सलाम प्रस्तुत करता है और मेहनतकश आबादी के मुक्तिकामी संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लेता है।
क्रांतिकारी अभिवादन के साथ
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी
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