जेएनयू छात्रों पर लगे देशद्रोह के आरोप के विरोध में अभियान
28 फरवरी, रविवार को दिल्ली के शाहबाद डेयरी की मजदूर बस्ती में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन द्वारा जेएनयू के छात्रों पर लगे फर्जी देशद्रोह के आरोप में एक संयुक्त अभियान चलाया गया। अभियान के दौरान पूरी बस्ती में रैली निकाल कर पर्चे बांटे गए। जगह-जगह नुक्कड़ों पर सभा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज भाजपा सरकार पूरे देश में आम जनता के मौलिक अधिकारों को कुचलने पर तुली हुई है। सरकार के खिलाफ उठी हर आवाज को देशद्रोह का नाम देकर मिटा देने की कोशिश की जाती है।
जबकि इसी समय मोदी सरकार देश के पूंजीपतियों के मुनाफे को किसी भी कीमत पर सुनिश्चित करने के लिए श्रम कानूनों , भूमि अधिग्रहण कानूनों, पर्यावरणीय कानूनों समेत बहुत से कानूनों में परिवर्तन कर रही है। जिसका साफ परिणाम आम जनता की और ज्यादा तबाही बर्बादी तथा पूंजीपतियों के लिए अकूत मुनाफे के रूप में निकल कर आएगा। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि देश किसी कागज पर बनी लकीरों का नाम नहीं होता है बल्कि वह बनता है उस देश के आम मजदूर-किसानों से मिलकर जिसकी तबाही और बर्बादी का परवाना हर सरकार के हाथों में होता है, इसलिए असल में अगर कोई राष्ट्रद्रोही है तो वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नहीं बल्कि तमाम पूंजीवाद समर्थित सरकारें और यह शासन व्यवस्था है।
जबकि इसी समय मोदी सरकार देश के पूंजीपतियों के मुनाफे को किसी भी कीमत पर सुनिश्चित करने के लिए श्रम कानूनों , भूमि अधिग्रहण कानूनों, पर्यावरणीय कानूनों समेत बहुत से कानूनों में परिवर्तन कर रही है। जिसका साफ परिणाम आम जनता की और ज्यादा तबाही बर्बादी तथा पूंजीपतियों के लिए अकूत मुनाफे के रूप में निकल कर आएगा। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि देश किसी कागज पर बनी लकीरों का नाम नहीं होता है बल्कि वह बनता है उस देश के आम मजदूर-किसानों से मिलकर जिसकी तबाही और बर्बादी का परवाना हर सरकार के हाथों में होता है, इसलिए असल में अगर कोई राष्ट्रद्रोही है तो वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नहीं बल्कि तमाम पूंजीवाद समर्थित सरकारें और यह शासन व्यवस्था है।
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