8 मार्च को दिल्ली, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस की विरासत को याद करते हुए बिरदाना व अन्य प्रगतिशील संगठनों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस से पहले सभी इकाइयों द्वारा सप्ताह भर रिहायशी व औद्योगिक इलाकों तथा अलग-अलग फैक्ट्रियों में परचा अभियान चला कर अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस के इतिहास व उसके मह्त्व से रूबरू करते हुए व्यापक पर्चा बांटा गया।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर कस्बे में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा इंकलाबी मज़दूर केंद्र व परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के तहत व्यापार मंडल भवन में सभा की गई और जुलूस निकला गया। सभापति में वक्ताओं ने बताया कि समाज में महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की बानी हुई है। इसी वजह से पूंजीपति उसे सस्ते श्रम के तौर पर इस्तेमाल करता है। पुरुष प्रधान मानसिकता के कारण महिलाओं को बहुत उत्पीड़न झेलना पड़ता है। एक वक्ता ने कहा कि सरकार को बी बी सी द्वारा दिल्ली गैंग रपे केस पर बनायी गई डॉक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित नहीं करना चाहिए, ताकि गैंग रेप केस के अपराधी और उनका केस लड़ने वाले वकीलों की महिला विरोधी सोच सब के सामने आये। इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया गया कि महिलाओं की मुक्ति का रास्ता समाजवाद से होकर जाता है।
पूंजीवादी समाज में महिलाओं को यौन वस्तु व सस्ते श्रम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। समाजवादी समाज में महिलाओं को रूस व चीन की समाजवादी व्यवस्था की तरह इस स्थिति से मुक्ति मिलेगी। सभा में वक्ताओं ने मज़दूर महिलाओं के शोषण व उत्पीड़न के सवाल को प्रमुखता से उठाते हुए बताया कि यदि मज़दूर महिलाएं इस लड़ाई में शामिल नहीं होतीं तो इस लड़ाई को जीतने की संभावनाएं बहुत कम हो जाएगी।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर कस्बे में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा इंकलाबी मज़दूर केंद्र व परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के तहत व्यापार मंडल भवन में सभा की गई और जुलूस निकला गया। सभापति में वक्ताओं ने बताया कि समाज में महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की बानी हुई है। इसी वजह से पूंजीपति उसे सस्ते श्रम के तौर पर इस्तेमाल करता है। पुरुष प्रधान मानसिकता के कारण महिलाओं को बहुत उत्पीड़न झेलना पड़ता है। एक वक्ता ने कहा कि सरकार को बी बी सी द्वारा दिल्ली गैंग रपे केस पर बनायी गई डॉक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित नहीं करना चाहिए, ताकि गैंग रेप केस के अपराधी और उनका केस लड़ने वाले वकीलों की महिला विरोधी सोच सब के सामने आये। इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया गया कि महिलाओं की मुक्ति का रास्ता समाजवाद से होकर जाता है।
पूंजीवादी समाज में महिलाओं को यौन वस्तु व सस्ते श्रम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। समाजवादी समाज में महिलाओं को रूस व चीन की समाजवादी व्यवस्था की तरह इस स्थिति से मुक्ति मिलेगी। सभा में वक्ताओं ने मज़दूर महिलाओं के शोषण व उत्पीड़न के सवाल को प्रमुखता से उठाते हुए बताया कि यदि मज़दूर महिलाएं इस लड़ाई में शामिल नहीं होतीं तो इस लड़ाई को जीतने की संभावनाएं बहुत कम हो जाएगी।
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