उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक 12 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना सामने आई है। आरोपी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया है। एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए इस जघन्य अपराध के प्रति आम समाज में एक रोष है। महिलाओं के साथ बढ़ती हिंसा का ग्राफ हमारे देश में तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है। आज के समय से 80 साल की बुजुर्ग महिला से लेके 6 महीने की बच्ची तक कोई सुरक्षित नहीं है। महिलाओं की यह असुरक्षा सड़क से शुरू होकर घर तक पहुंचती है। स्कूल, कॉलेज कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थल और यहां तक कि पुलिस थाने और अदालत तक कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है। लेकिन शासन प्रशाशन से लेके सरकार तक महिलाओं के साथ हो रही हिंसा की तरफ आँखें मूंदें हुए है।
बल्कि अब यह मामला और आगे बढ़ कर देश में हावी हिंदुत्वादी साम्प्रदायिक ताकतों के हाथ एक हथियार बन गया है। नैनीताल की यह घटना इसका जीता जागता उदाहरण है। चूंकि इस अपराध का आरोपी मुसलमान है अतः नैनीताल में मौजूद सांप्रदायिक ताकतों ने इस घटना के बहाने शहर की मुस्लिम आबादी को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। मुसलमान दुकानदारों की दुकानों में तोड़ फोड़ से लेके मुस्लिम समुदाय को भद्दी गलियां देने तक हर तरीके से वह शहर में साम्प्रदायिकता का जहर फैलाने की कोशिश कर रही हैं।
नैनीताल शहर अपने आप में एक सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक रहा है जहां मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा और गिरिजाघर सभी उपासना के स्थल एक जगह होने के बावजूद कभी यहां धर्म के झगड़े नहीं हुए। लेकिन आज ये हिन्दुत्व वादी ताकतें इस अमन से भरे शहर में साम्प्रदायिकता का जहर घोलने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जहां ये ताकतें नफरत फैला रही हैं वहीं नैनीताल की अमन पसंद जनता उनके इन मंसूबों को बहादुरी से ध्वस्त भी कर रही है।
2 मई को जब एक साम्प्रदायिकता फैला रहा हिंदुत्ववादी गिरोह मुसलमान दुकानदारों को निशाना बना रहा था उसी समय नैनीताल व्यापार मंडल के अध्यक्ष की बेटी शहला नेगी ने अकेले उस भीड़ के सामने खड़े होकर बहुत बहादुरी से उनके द्वारा फैलाए जा रहे इस नफरत का विरोध किया। उसने साफ कहा कि अपराध हुआ है जिसके लिए न्याय मिलना चाहिए लेकिन इसकी वजह से पूरे एक धर्म को निशाना बनाया जाना गलत है। उसने यह भी सवाल उठाया कि जब आरोपी हिन्दू होते हैं तब यह भीड़ कहां होती है और वो तब क्यों नहीं आती है न्याय मांगने। एक मीडिया चैनल को दिए एक साक्षात्कार में शहला ने कहा कि बलात्कार तो महिलाओं के साथ होता है। चाहे हिन्दू हो या मुसलमान हर धर्म की औरतें इस हिंसा को झेलती है। बलात्कारी जिस धर्म का भी हो अपराध का दंश महिलाओं को ही झेलना होता है। जरूरत ये है कि इन बढ़ते अपराधों पर रोक लगाई जाए चाहिए ना कि इसको सांप्रदायिक रंग दिया जाए।
इस बहादुर महिला के इस कदम ने इस देश की हिन्दुत्ववादी ताकतों का असली चेहरा उजागर कर दिया। जहां वह एक तरफ बलात्कार के विरोध के नाम पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उनके इस कुकृत्य पर सवाल उठाने वाली महिला को इनके गुंडों द्वारा बलात्कार करने की धमकी दी जा रही है। यानी कि बलात्कार के लिए न्याय आप बलात्कार करके मांगेंगे।
शहला द्वारा उठाए गए सवाल का जीता जागता उदाहरण हमे वहां मिलता है जब आज नैनीताल में बलात्कार के नाम पर पूरे एक समुदाय को निशाना बना रही साम्प्रदायिक हिंदुत्ववादी ताकतों ने कठुआ में आसिफा के बलात्कारियों के पक्ष में तिरंगा यात्रा निकाली या जब उन्नाव रेप केस में अपराधी विधायक सेंगर तथा बिल्किस बानो के बलात्कारियों का फूल मालाओं से स्वागत किया गया।
आज इस देश की समस्त आवाम को जरूरत है कि वो शहला की तरह ही तार्किक तरीके इन साम्प्रदायिक ताकतों के नफरत फैलाने के मंसूबों को ध्वस्त करते हुए आम जनता की मुख्य समस्याओं के लिए आवाज उठाए।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र मांग करता है कि इस आपराधिक घटना के लिए बच्ची को न्याय मिलना चाहिए तथा अपराधी को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। इसके साथ ही प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एक नाबालिग के साथ बलात्कार जैसी संवेदनशील घटना को सांप्रदायिक ताकतों द्वारा औजार बना कर शहर की हवा में नफरत का जहर घोलने की कोशिश करने की सख्त निंदा करता है तथा मांग करता है कि ऐसी ताकतों के खिलाफ उचित तथा सख्त कार्यवाही की जाए।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र शहला नेगी को उनकी बहादुरी के लिए सलाम करता है और इस देश की महिलाओं से आह्वान करता है कि वह ऐसी साजिशों को नाकाम करते हुए महिलाओं के साथ हो रही हिंसा के खिलाफ एक मजबूत संघर्ष खड़ा करें
क्रांतिकारी अभिवादन सहित
प्रगतिशील महिला एकता केंद की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी