15 अगस्त को 69वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र ने शाहबाद डेयरी, दिल्ली में महिलाओं के संबंध में समाज में व्याप्त सोच को प्रदर्शित करती हुई फिल्म को दिखाया व आज के दौर में महिलाओं की स्थिति की चर्चा करते हुए उससे मुक्ति के संदर्भ में बात की गई।
फिल्म में पढ़े- लिखे कहे जाने वाले तबके, पुरुष व महिलाओं, युवा लड़कों व बुजुर्गों की सोच को दिखाया गया है।
यह फिल्म बताती है कि 21वीं सदी में पहुंचकर भी हमारे देश की एक बड़ी आबादी का दिमाग मध्ययुगीन पिछड़ी मूल्य मान्यताओं को ही मानता व पालता-पोसता है।
चर्चा के दौरान महिलाओं ने बताया कि आजादी के इतने सालों बाद भी वे अपने घरों व समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव की शिकार हैं। घर से लेकर बाजार, कार्यक्षेत्र तक हर जगह अलग-अलग रूपों में उन्हें इस भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। महिलाओं का सम्मान करने का बखान करने वाली सरकार महिलाओं से रात की पाली में कारखानों में काम करने के लिए कानून बनाती है, आतंकवाद के वश्वि सरगना आेबामा की सुरक्षा के लिए करोडों रूपये में कैमरे लगाती है, लेकिन उसके जाते ही वे कैमरे उतार लिए जाते हैं।